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    बढ़ते ऑनलाइन फ्रॉड के बीच साइबर इंश्योरेंस जरूरी, नुकसान होने पर करता है भरपाई

  • July 13, 2022

    नई दिल्‍ली । साइबर फ्रॉड (cyber fraud) के बढ़ते मामलों के बीच अब जरूरी हो गया है कि आपके पास ‘साइबर इंश्योरेंस’ (cyber insurance) हो। यह एक तरह का अनुबंध है, जिसमें ऑनलाइन व्यापार (online business) करने वाली कंपनी या व्यक्ति वित्तीय जोखिम से बचने के लिए इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदता है। तय शुल्क के बदले में साइबर क्राइम से होने वाले नुकसान को कवर किया जाता है। लेकिन साइबर इंश्योरेंस की भी एक सीमा है, इसलिए जरूरी है कि डिजिटल लेन-देन में पूरी सावधानी बरतें।

    पॉलिसी की समझ जरूरी
    साइबर इंश्योरेंस लेते समय पॉलिसी की अच्छी समझ होना बहुत जरूरी है। आपको इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि पॉलिसी से आपको क्या सुरक्षा मिलेगी और अगर जरूरत पड़े तो कैसे इस्तेमाल करना है। इंश्योरेंस पॉलिसी में अलग-अलग तरह के साइबर खतरों से सुरक्षा प्रदान की जाती है। अगर ज्यादा ऑनलाइन लेन-देन करते हैं तो आपको ज्यादा लिमिट वाली पॉलिसी लेना बेहतर है।


    कैसे होता है हमला
    इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदते वक्त इस बात का ध्यान रखें कि साइबर क्राइम के कितने खतरे कवर हो रहे हैं। इनमें प्रमुख हैं ः-

    फिशिंग या स्पूफिंग
    इसमें साइबर ठग आपकी संवेदनशील जानकारी, जैसे- बैंक खाता विवरण और पहचान आदि को चुराता है।

    मालवेयर
    यह एक प्रकार का वायरस है, जो डिजिटल डिवाइस, जैसे- कंप्यूटर, मोबाइल और टेबलेट आदि से निजी जानकारियां चुराता है।

    सिम स्वैप ­
    इसमें तकनीक की मदद से मूल सिम की जगह डुप्लिकेट सिम बनाई जाती है। इसके जरिए बैंक खाते से ऑनलाइन धनराशि ट्रांसफर की जाती है।

    क्रेडेंशियल स्टफिंग
    इसमें ठग आपकी निजी जानकारियों को इकट्ठा करते हैं, जिसमें आमतौर पर उपयोगकर्ता का नाम, ईमेल आइडी या अकाउंट पासवर्ड की सूची होती है।

    पॉलिसी में क्या करें कवर

    • अगर आप साइबर इंश्योरेंस पॉलिसियों के बीच चयन कर रहे हैं तो कुछ खास बातों का ध्यान रखें, जैसे-
      स्पूफिंग और फिशिंग के चलते वित्तीय नुकसान nबैंक खाते या डेबिट-क्रेडिट कार्ड से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी का चोरी होना।
      ई-वॉलेट से ऑनलाइन ट्रांजेक्शन में धोखाधड़ी।
    • पहचान की चोरी के बाद लागत से जुड़े नुकसान और खर्च की जानकारी।
    • वायरस से डाटा या कंप्यूटर प्रोग्राम को पहुंचे नुकसान के बाद इन्हें वापस इंस्टॉल करने पर होने वाले खर्च आदि।

    कुछ सावधानी खुद भी
    साइबर इंश्योरेंस होने के बावजूद आपको सावधानी बरतनी चाहिए, क्योंकि ज्यादातर लोग अपने कंप्यूटर और स्मार्टफोन से ही नहीं, बल्कि ऑफिस के कंप्यूटर और पब्लिक वाई-फाई से भी वित्तीय लेन देन करते हैं। बाहरी उपकरणों से निजी जानकारियों को एक्सेस करने से जोखिम ज्यादा रहता है। हमें जानकारी होनी चाहिए कि साइबर हमले कैसे होते हैं। किन परिस्थितियों में नुकसान हो सकता है और कैसे साइबर अटैक से बचा जा सकता है।

    नोट
    अगर आप या आपका कोई परिचित साइबर ठगी का शिकार हुआ है तो विशेषज्ञ से बात करने के बाद ही जरूरी कदम उठाएं। ऊपर दी गई जानकारी सिर्फ आपको सचेत करने के लिए है। पॉलिसी से जुड़े अपने किसी भी सवाल का जवाब जानने के लिए इंश्योरेंस कंपनी से ही संपर्क करें।

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