भोपाल: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में साइबर ठगी (Cyber fraud) के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. इसे देखते हुए राज्य सरकार ने साइबर अपराधों पर लगाम लगाने के लिए नई रणनीति बनाई है. अब साइबर ठगी रोकने के लिए सरकारी एजेंसियां आपस में सूचनाएं साझा करेंगी. जांच एजेंसी RBI, EOW और पुलिस आपस में सूचनाएं साझा करेंगी. स्टेट लेवल कोऑर्डिनेशन कमेटी की बैठक में यह रणनीति बनाई गई है. बता दें कि हर राज्य में ऐसी एजेंसियां बनाई गई हैं.
बता दें कि भोपाल, इंदौर, उज्जैन समेत प्रदेश के अन्य जिलों में लोगों को झूठे मामलों का हवाला देकर ऑनलाइन ठगी करने की घटनाएं बढ़ रही हैं. इन हालातों को देखते हुए आरबीआई, ईओडब्ल्यू और पुलिस समेत विभिन्न एजेंसियों ने साइबर ठगी के नए मामलों की जानकारी साझा करने पर सहमति जताई है. हाल ही में स्टेट लेवल कोआर्डिनेशन कमेटी की बैठक में इन मामलों पर चर्चा की गई. बैठक में बताया गया कि मध्य प्रदेश में लगातार ऐसे मामले सामने आ रहे हैं, जहां अज्ञात लोग वीडियो कॉल करके भोले-भाले लोगों को धमका रहे हैं और उन्हें झूठे मामलों में फंसा रहे हैं और उनसे पैसे ऐंठ रहे हैं.
दरअसल प्रदेश में साइबर फ्रॉड के बढ़ते मामलों को देखते हुए आरबीआई, ईओडब्ल्यू और पुलिस जैसी सरकारी एजेंसियां एकजुट होकर जानकारी साझा करने का फैसला कर रही हैं. प्रदेश में डिजिटल अरेस्ट जैसे धोखाधड़ी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. अकेले भोपाल में ही 24 नए डिजिटल अरेस्ट के मामले और 4500 से ज्यादा साइबर फ्रॉड की शिकायतें दर्ज की गई हैं. हाल ही में भोपाल में हुई बैठक में निर्णय लिया गया कि कमेटी की सदस्य एजेंसियां धोखाधड़ी के नए तरीकों और इस संबंध में किए गए अध्ययनों को आपस में साझा करें. इस पहल का उद्देश्य साइबर अपराधों पर नियंत्रण और नागरिकों को सुरक्षित बनाना है.
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