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वृक्षों की कटाई पर सख्‍त हुआ सुप्रीम कोर्ट, इस राज्य के मुख्य सचिव को दी जेल भेजने की चेतावनी

  • April 04, 2025

    नई दिल्‍ली । सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने गुरुवार को तेलंगाना सरकार (Telangana Government) से हैदराबाद विश्वविद्यालय (Hyderabad University) के बगल में स्थित भूखंड पर लगे बड़े वृक्षों (trees) को हटाने की ‘मजबूरी’ के बारे में स्पष्टीकरण मांगा। साथ ही अगले आदेश तक किसी भी प्रकार की गतिविधि पर रोक लगा दी। रिपोर्ट में अदालत को बताया गया कि बड़ी संख्या में पेड़ काटे गए हैं।

    राज्य में पेड़ों की कटाई को ‘‘बहुत गंभीर मामला’’ बताते हुए न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि तेलंगाना उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार द्वारा उसके समक्ष पेश की गई अंतरिम रिपोर्ट ‘‘चिंताजनक तस्वीर’’ पेश करती है।

    पीठ ने कहा, ‘‘हम निर्देश देते हैं कि अगले आदेश तक, पहले से मौजूद पेड़ों के संरक्षण के अलावा, किसी भी प्रकार की कोई गतिविधि राज्य द्वारा नहीं की जाएगी।’’

    पीठ ने तेलंगाना के मुख्य सचिव से पूछा कि राज्य द्वारा पेड़ों को हटाने समेत विकासात्मक गतिविधियां शुरू करने की तत्काल इतनी क्या मजबूरी है। मुख्य सचिव को यह भी बताने का निर्देश दिया गया कि क्या राज्य ने ऐसी गतिविधियों के लिए पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन प्रमाणपत्र प्राप्त किया है।

    शीर्ष अदालत ने चेतावनी दी कि अगर उसे राज्य की ओर से कोई चूक मिली तो वह मुख्य सचिव के खिलाफ कार्रवाई करेगी। पीठ ने कहा, ‘‘उन्हें (मुख्य सचिव) झील के पास उसी स्थान पर बनाई गई अस्थायी जेल में भेजा जाएगा।’’


    पीठ ने पूछा कि क्या पेड़ों को काटने के लिए वन प्राधिकरण या किसी अन्य स्थानीय प्राधिकरण से अपेक्षित अनुमति ली गई थी। इसने कहा कि यदि राज्य के अधिकारी किसी भी निर्देश का उल्लंघन करते पाए गए, तो इसकी जिम्मेदारी राज्य के मुख्य सचिव पर होगी। अदालत ने काटे गए पेड़ों की स्थिति के बारे में भी पूछताछ की।

    पीठ ने केंद्रीय अधिकार प्राप्त एक समिति को संबंधित स्थान का दौरा करने और 16 अप्रैल से पहले अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया। पीठ ने मामले की अगली सुनवाई की तिथि 16 अप्रैल निर्धारित की।

    इससे पहले दिन में, न्यायालय ने हैदराबाद विश्वविद्यालय से सटी 400 एकड़ जमीन पर पेड़ों की कटाई मामले का संज्ञान लेते हुए तेलंगाना उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार (न्यायिक) को कांचा गाचीबोवली वन क्षेत्र का तत्काल दौरा करने का निर्देश दिया।

    पीठ ने उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार (न्यायिक) को दोपहर 3:30 बजे तक अंतरिम रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया और कहा कि मामले की सुनवाई अपराह्न 3:45 बजे होगी।

    इस मुद्दे को वरिष्ठ अधिवक्ता के. परमेश्वर ने पीठ के समक्ष उठाया, जो पर्यावरण से संबंधित मामले में न्यायमित्र के रूप में उच्चतम न्यायालय की सहायता कर रहे हैं।

    पीठ ने अपने आदेश में कहा कि न्यायमित्र कई समाचार रिपोर्ट को उसके संज्ञान में लाए हैं, जिनमें वहां बड़ी संख्या में पेड़ों की कटाई का दावा किया गया है।

    पीठ ने कहा, ‘‘इसलिए, हम तेलंगाना उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार (न्यायिक) को निर्देश देते हैं कि वह तत्काल संबंधित स्थल का दौरा करें और आज अपराह्न 3:30 बजे तक अपनी अंतरिम रिपोर्ट प्रस्तुत करें।’’

    पीठ ने उच्चतम न्यायालय के रजिस्ट्रार (न्यायिक) को निर्देश दिया कि वह उसके आदेश को तत्काल उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार (न्यायिक) को सूचित करें, जो तत्काल उस पर कार्रवाई करेंगे।

    पीठ को बताया गया कि तेलंगाना उच्च न्यायालय भी इसी मामले पर सुनवाई कर रहा है। उच्चतम न्यायालय की पीठ ने कहा, ‘‘हम यह स्पष्ट करते हैं कि हम तेलंगाना उच्च न्यायालय में जारी कार्यवाही पर रोक नहीं लगा रहे हैं।’’

    हैदराबाद विश्वविद्यालय के छात्र विश्वविद्यालय परिसर से सटी 400 एकड़ जमीन को विकसित करने की राज्य सरकार की योजना के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। तेलंगाना उच्च न्यायालय ने राज्य की कांग्रेस सरकार को इस संबंध में सभी कार्य तीन अप्रैल तक रोकने का निर्देश दिया है।

    हैदराबाद विश्वविद्यालय छात्र संघ (यूओएचएसयू) और इससे संबद्ध अन्य यूनियनों और दलों ने अनिश्चितकालीन विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है तथा कक्षाओं का बहिष्कार करने की घोषणा की है। छात्र संघ ने विश्वविद्यालय परिसर से पुलिसकर्मियों के साथ ही जमीन से भारी मशीनों को हटाने की मांग की है।

    छात्र समूहों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने पारिस्थितिकी संरक्षण संबंधी चिंताओं का हवाला देते हुए स्थल पर विकास कार्य करने के प्रस्ताव का विरोध किया है।

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