भोपाल। प्रदेश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली में एक के बाद एक घोटाले सामने आते रहते हैं। इसके बावजूद भी प्रदेश में लाखों की संख्या में अपात्र लोग सस्ती दर पर राशन ले रहे हैं। पिछले कुछ महीनों के भीतर संचालनालय खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति ने ऐसे एक करोड़ अपात्रा लोगों के नाम हटाए हैं, जो सस्ती दर पर राशन ले रह ेथे। इससे सरकार को हर महीने करीब 123 करोड़ की फिजूलखर्ची रुकी। प्रदेश में छह महीने पहले तक 5 लाख 40 हितग्राही ऐसे थे, जिन्हें हर महीने एक रुपए प्रतिकिलो की दर पर गेहंू एवं चावल दिया जाता था। पीडीएस दुकानों पर पात्र व्यक्ति को एक रुपए प्रति किलो की दर पर हर महीने 5 किलो अनाज दिया जाता है। जबकि सरकार 25 रुपए प्रतिकिलो से खर्च करती है। ऐसे में एक व्यक्ति पर 125 रुपए खर्च होते हैं। संचालनालय खाद्य ने प्रदेश भर में पात्र हितग्राहियों का आधार वेरिफिकेशन एवं पात्रता जांच कराई तो करीब एक करोड़ अपात्र सामने आए। जिन्हें पात्रता की श्रेणी से बाहर किया। जबकि 30 लाख नए पात्र लोगों के नाम जोड़ गए। वर्तमान में पात्र लोगों की संख्या 4 करोड़ 70 लाख है। जिन्हें हर महीने सस्ता राशन दिया जा रहा है। इसमें सभी तरह के हितग्राही शामिल हैं। जिन लोगों के नाम काटे गए हैं, उन पर हर महीने 120 से 125 करोड़ रुपए का खर्च आता था।
अंगूठा से मिलता है राशन
प्रदेश में 97 फीसदी पात्र हितग्राहियों को राशन अब थंब इंप्रेशन मशीन पर अंगूठा लगाकर दिया जा रहा है। कुछ तहसीलों को छोड़ दिया जाए तो प्रदेश भर में ऑनलाइन व्यवस्था है। साथ ही राशन की दुकानें रोजाना खोलने का प्रावधान है। यदि किसी गांव या शहर में कोई दुकानदार राशन दुकानें नहीं खोल रहा था तो शिकायत पर उसका लाइसेंस निरस्त किया जाता है। राज्य शासन द्वारा हर महीने राशन का कोटा आवंटित किया जाता है। यदि कोई दुकानदार किसी महीने राशन नहीं बांटता है तो उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाती है।
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