मुजफ्फरनगर: 35 साल की लंबी कानूनी लड़ाई और करीब 400 बार कोर्ट का चक्कर काटने के बाद 85 वर्षीय धर्मपाल सिंह (Dharampal Singh) को आखिरकार न्याय मिल गया. उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh news) के मुजफ्फरनगर (Muzaffarnagar) में अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट-2 मुकीम अहमद ने सबूतों के अभाव में धर्मपाल सिंह को बरी कर दिया. धर्मपाल सिंह को साल 1986 में अपने घर में अवैध रूप से कीटनाशनक बनाने के मामले में आरोपी बनाया गया था. शामली (Shamli) जिले के हरान गांव के रहने वाले धर्मपाल ने कहा कि अब ऐसा लग रहा है जैसे मेरे कंधे पर से बहुत बड़ा बोझ उतर गया है.
35 सालों तक धर्मपाल कोर्ट का चक्कर लगाते रहे और तीरीख पर तारीख की तरह इस मामले में 400 बार कोर्ट के समक्ष पेश हुए. इस दौरान उनके काफी पैसे खर्च हुए. इतने सालों तक जब पुलिस सबूत अथवा गवाह पेश नहीं कर पाई, तब जाकर एसीजेएम कोर्ट ने धर्मपाल को बरी कर दिया. इस मामले में धर्मपाल के भाई कुंवरपाल भी आरोपी थे, मगर पांच साल पहले न्याय मिलने से पहले ही उनकी मौत हो गई. वहीं मामले में दर्ज एक अन्य व्यक्ति लियाकत अली को पहले अदालत ने भगोड़ा घोषित किया था. हालांकि, धर्मपाल को 18 दिन जेल में बिताने पड़े थे.
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, धर्मपाल सिंह ने कहा कि मैंने इस लंबी कानूनी लड़ाई के दौरान अपनी प्रतिष्ठा, पैसा और मानसिक शांति खो दी. न्याय मिलने में काफी समय लगा, मगर अब मुझे खुशी है कि सच्चाई की जीत हुई. मुझे राहत देने के लिए मैं माननीय अदालत को धन्यवाद देना चाहता हूं. मैंने मामले में लगभग 400 सुनवाई में पेश होने के लिए बहुत सारा पैसा और समय बर्बाद किया है. धर्मपाल के वकील ने करन सिंह पुंडीर ने कहा कि मुकदमा 35 साल तक चला लेकिन पुलिस आरोपी के खिलाफ अदालत में एक भी गवाह पेश नहीं कर सकी.
क्या था मामला
दरअसल, 11 नवंबर, 1986 को थाना भवन पुलिस ने दो भाइयों, धर्मपाल और कुंवरपाल और एक लियाकत अली को कथित तौर पर बिना लाइसेंस के कीटनाशक बनाने के आरोप में मामला दर्ज किया था. पुलिस ने एक ट्रक में लादते समय कीटनाशक के 26 बैग बरामद करने का भी दावा किया था. इन तीनों पर धारा 420 सहित आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था. 18 दिन जेल में बिताने के बाद तीनों को जमानत पर रिहा कर दिया गया.
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