नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कस्टम एक्ट (Custom Act) और GST एक्ट के तहत अधिकृत अधिकारियों को गिरफ्तारी (arrest) का अधिकार (full right) को बरकरार रखा है. कोर्ट ने इसकी संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं को गुरुवार को खारिज कर दिया. चीफ जस्टिस (CJI) संजीव खन्ना (sanjeev khanna) की बेंच ने माना कि ये प्रावधान GST की प्रभावी उगाही और टैक्स चोरी की रोकथाम के लिए जरूरी हैं.
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि GST एक्ट संविधान के अनुच्छेद 246-ए के अंतर्गत आते हैं, और गिरफ्तारी, समन और अभियोजन की शक्तियां टैक्स की उगाही के लिए अहम हैं. कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 246-ए के तहत संसद और राज्य विधानसभा को GST से संबंधित कानून बनाने का विशेष अधिकार है.
सुप्रीम कोर्ट अपने फैसले में क्या कहा?
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि कस्टम अधिकारी पुलिस अधिकारी नहीं होते हैं, जैसा कि पहले भी सुप्रीम कोर्ट स्पष्ट कर चुका है. अदालत ने यह सुनिश्चित करते हुए कि विधायी बदलावों के साथ ये प्रावधान देश के कानून के अनुरूप हैं और गैरकानूनी गिरफ्तारी से बचने के लिए पर्याप्त सुरक्षा उपाय शामिल हैं, कस्टम एक्ट के संशोधनों और प्रावधानों को लेकर दी गई चुनौती को भी खारिज कर दिया.
कस्टम एक्ट का हवाला देते हुए, जिसमें बेलेबल, और नॉन-बेलेबल, कॉग्निजेबल और नॉन-कॉग्निजेबल मामलों में गिरफ्तारी की वजहें स्पष्ट की गई है, अदालत ने कहा कि गिरफ्तारी को उचित ठहराते समय “रीजन टू बिलीव” साफतौर से जाहिर होने चाहिए.
टैक्सपेयर्स को अदालत जाने का अधिकार
चीफ जस्टिस खन्ना ने यह भी कहा कि अगर कोई कानून का उल्लंघन करता है और टैक्सपेयर्स को धमकाकर, फोर्स या जबरदस्ती करने की कोशिश की जाती है, तो ऐसे मामलों में टैक्सपेयर्स अदालत का सहारा ले सकते हैं. कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसे मामलों में उनके द्वारा जमा किया गया टैक्स भी वापस किया जाएगा.
गिरफ्तारी से बचने की शर्त रखी जाती है!
आंकड़े देखकर, अदालत ने कहा कि इससे पता चलता है कि गिरफ्तार किए गए लोगों की संख्या आमतौर पर सैकड़ों या उससे अधिक होती है. टैक्स की मांग और जुटाए किए गए टैक्स से संबंधित आंकड़े, असल में, याचिकाकर्ताओं की इस दलील में कुछ स्पष्टता है कि टैक्सपेयर्स को गिरफ्तार न किए जाने की शर्त के रूप में टैक्स का भुगतान करने के लिए मजबूर किया जाता है.
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved