नई दिल्ली: पूरे देश में ग्राउंड वाटर लेवल बहुत तेजी से नीचे गिर रहा है. इससे आने वाले दिनों में जल संकट गहरा सकता है. खास बात यह है कि ग्राउंट वाटर को सबसे ज्यादा दोहन फसलों की सिंचाई में हो रहा है. इसमें भी धान की खेती में सबसे ज्यादा ग्राउंड वाटर का उपयोग होता है. यही वजह है कि हरियाणा जैसे धान उत्पाद राज्य में ग्राउंड वाटर लेवल तेजी से नीचे जा रहा है. हालांकि, इसको लेकर सरकार सतर्क हो गई है.
रिपोर्ट के मुताबिक, हरियाणा में गेहूं के बाद सबसे अधिक धान की खेती होती है. लेकिन किसान धान की सिंचाई भी ट्यूबवेल से ही करते हैं. ऐसे भी एक हेक्टेयर में धान की खेती करने पर 50 लाख लीटर पानी की खपत होती है और हरियाणा में 33 लाख एकड़ से अधिक रकबे में धान की बुवाई की जाती है. ऐसे में अन्य राज्यों की तरह हरियाणा में भी ग्राउंड वाटर लेवल बहुत तेजी से नीचे जा रहा है. लेकिन हरियाणा सरकार ने इस संकट से बाहर निकलने के लिए एक नया फॉर्मूला ढूंढ लिया है.
‘मेरा पानी मेरी विरासत’ योजना पर अमल करें। किसान, प्रति बूंद, ज्यादा फसल के नारे को अपने जीवन में आत्मसात करें।
जल संचय और सूक्ष्म सिंचाई से हम राज्य में कृषि क्रांति ला सकते हैं। ड्रिप इरिगेशन का प्रचार प्रसार भी करने की जरुरत है। pic.twitter.com/PidyYt4SW7
— Dept. of Agriculture & Farmers Welfare, Haryana (@Agriculturehry) April 10, 2023
7 हजार रुपये प्रति एकड़ मिलेगा अनुदान
जानकारी के मुताबिक, हरियाणा सरकार ने ग्राउंड वाटर लेवल को बचाने के लिए ‘मेरा पानी मेरी विरासत’ योजना की शुरुआत की है. इस योजना के तहत राज्य सरकार धान की जगह दूसरे फसलों की खेती करने के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रही है, ताकि ग्राउंड वाटर लेवल को बचाया जा सके. खास बात यह है कि धान की जगह अन्य फसलों की खेती करने वाले किसानों को सरकार 7 हजार रुपये प्रति एकड़ की दर से सब्सिडी भी दे रही है.
दरअसल, हरियाणा सरकार का मानना है कि धान की खेती में बहुत अधिक पानी का दोहन होता है. इसकी जगह हरी सब्जी, दाल, मक्का और तिलहन की खेती कर पानी को बचाया जा सकता है. क्योंकि इन फसलों की खेती में बहुत ही कम पानी की जरूरत होती है. इसके अलावा डीएसआर तकनीक से धान की खेती करने पर 4000 रुपये प्रति एकड़ की दर से अनुदान दिया जाएगा.
80 प्रतिशत सब्सिडी दे रही है सरकार
हरियाणा सरकार पानी को बचाने के लिए कई तरह की योजनाएं चला रही है. केंद्र सरकार ड्रिप इरिगेशन पर भी 80 प्रतिशत सब्सिडी दे रही है. इस विधि से फसलों की सिंचाई करने पर पानी की बर्बादी बहुत कम होती है, क्योंकि बुंद-बुंद कर पानी फसलों की जड़ों तक पहुंचता है. अगर किसान भाई अन्य फसलों की खेती करते हैं, तो वे सरकारी अनुदान का लाभ उठा सकते हैं.
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved