नई दिल्ली (New Delhi)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने कहा कि क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) व साइबर हमलों (cyber attacks) में बढ़ोतरी ने नई चुनौतियां (new challenges) पेश की हैं। साइबर अपराधी (Cyber criminals) नवीनतम तकनीक का उपयोग (use latest technology) कर रहे हैं। इनसे निपटने के लिए सभी देशों को सहयोग बढ़ाना चाहिए। कभी-कभी एक देश में न्याय सुनिश्चित करने के लिए दूसरे देशों के साथ काम करने की जरूरत होती है। जांच व न्याय के लिए यह जरूरी है।
पीएम मोदी ने शनिवार को विज्ञान भवन में राष्ट्रमंडल कानूनी शिक्षा संघ एवं राष्ट्रमंडल अटॉर्नी व सॉलिसिटर जनरल सम्मेलन-2024 का उद्घाटन करते हुए यह बात कही। मोदी ने कहा, न्याय वितरण प्रणाली को अधिक लचीला व अनुकूल बनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा, देश पहले से ही हवाई यातायात नियंत्रण और समुद्री यातायात के क्षेत्र में एक-दूसरे के साथ काम करते हैं। इसे जांच व न्याय देने तक बढ़ाना चाहिए। एक-दूसरे के अधिकार क्षेत्र का सम्मान करते हुए भी सहयोग हो सकता है। उन्होंने आशा जताई, सम्मेलन यह सुनिश्चित करेगा कि सभी को समय पर न्याय मिले और कोई पीछे न छूटे।
20वीं सदी के दृष्टिकोण से नहीं लड़ सकते चुनौतियों से
मोदी ने कहा, 21वीं सदी की चुनौतियों से 20वीं सदी के दृष्टिकोण से नहीं लड़ा जा सकता। एक क्षेत्र में आर्थिक अपराधों का इस्तेमाल अन्य क्षेत्रों में गतिविधियों को वित्तपोषित करने के लिए किया जा रहा है। पीएम ने वर्तमान वास्तविकताओं के अनुरूप कानून बनाने के लिए उनके आधुनिकीकरण का जिक्र करते हुए कहा कि तीन नए कानूनों ने 100 साल से अधिक पुराने औपनिवेशिक आपराधिक कानूनों की जगह ले ली है। उन्होंने कहा, भारत ने प्रौद्योगिकी का उपयोग एक उपकरण के रूप में किया है। इससे न्याय वितरण प्रणाली पर बोझ कम हो गया है।
कानूनी पेशे में महिलाओं की अधिक भागीदारी पर जोर
पीएम मोदी ने कहा, कानून शिक्षण संस्थानों में अधिक महिलाओं को शामिल करने पर जोर दिया, ताकि कानूनी पेशे में उनकी भागीदारी और बढ़ सके। उन्होंने कहा कि दुनिया को ऐसे युवा कानूनी दिमागों की जरूरत है जिनके पास विविध अनुभव हो। उन्होंने कहा कि कानूनी शिक्षा को बदलते समय और प्रौद्योगिकी के अनुरूप ढलने की जरूरत है।
राजनीति से प्रभावित न हों विधि अधिकारी : सीजेआई
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने समारोह में कहा, यह जरूरी है कि विधि अधिकारी राजनीति से प्रभावित न हों। तभी न्याय वितरण सुनिश्चित हो सकेगा। अधिकारियों को कानूनी कार्यवाही की अखंडता सुनिश्चित करते हुए अदालतों में गरिमा के साथ आचरण करना चाहिए।
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