नई दिल्ली। लंबे समय तक तेजी दिखाने के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार (International market) में आज कच्चे तेल (Crude oil price) की कीमत 90 डॉलर (below $90) से भी नीचे पहुंच गई। हालांकि ब्रेंट क्रूड ऑयल (brent crude oil) अभी भी 90 डॉलर के ऊपर ट्रेड कर रहा है, लेकिन डब्लूटीआई क्रूड 90 डॉलर से नीचे पहुंच गया है। आज अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड 90 सेंट की कमजोरी के साथ 94.20 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर आ गया, वहीं डब्ल्यूटीआई क्रूड कमजोर होकर 88.6 डॉलर प्रति बैरल की कीमत पर सेटल हुआ।
दुनिया के दूसरे सबसे बड़े कच्चे तेल के आयातक देश भारत के लिहाज से ये खबर काफी सुकून पहुंचाने वाली है लेकिन इसी खबर ने दुनिया भर के अर्थशास्त्रियों की चिंता बढ़ा दी है। माना जा रहा है कि कच्चे तेल की कीमत में आई गिरावट चीन की अर्थव्यवस्था से जुड़े आंकड़ों के कमजोर होने की वजह से आई है। चीनी अर्थव्यवस्था के कमजोर होते आंकड़ों को ग्लोबल इकोनॉमी के लिए मंदी का संकेत माना जा रहा है।
आशंका जताई जा रही है कि अगर चीन की अर्थव्यवस्था में कमजोरी आती है, तो इससे वैश्विक अर्थव्यवस्था काफी हद तक प्रभावित हो सकती है। क्योंकि मौजूदा हालत में दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश अमेरिका भी वैश्विक अर्थव्यवस्था को सपोर्ट देने की स्थिति में नहीं है। अमेरिका अभी खुद ही रिकॉर्ड महंगाई से जूझ रहा है। हालांकि अमेरिका में महंगाई दर के कुछ दिन पहले आए आंकड़ों में महंगाई में मामूली कमी आने के संकेत जरूर मिले हैं लेकिन अभी भी वहां की महंगाई का स्तर काफी अधिक है।
जहां तक चीन की अर्थव्यवस्था की हालत की बात है तो चीन के केंद्रीय बैंक ने मार्केट में डिमांड बढ़ाने के लिए अपना लेंडिंग रेट घटा दिया है। इसके बावजूद चीन की अर्थव्यवस्था से जुड़े आंकड़ों का कमजोर होना लोगों की परेशानी बढ़ा रहा है। जुलाई के महीने में चीन की अर्थव्यवस्था में काफी नरमी दर्ज की गई है, जिसके कारण इस बात की आशंका बनने लगी है कि चीन की अर्थव्यवस्था मंदी की ओर बढ़ रही है। खासकर, कोरोना संक्रमण को लेकर चीन जिस सख्ती के साथ अलग-अलग प्रांतों में लॉकडाउन को लागू कर रहा है, उसके कारण आने वाले दिनों में भी वहां के औद्योगिक उत्पादन में तेजी आने की संभावना कम हो गई है। इसके साथ ही प्रॉपर्टी क्राइसिस की वजह से भी चीन की अर्थव्यवस्था को झटका लगा है। चीन की अर्थव्यवस्था को झटका लगने का एक बड़ा अर्थ दुनिया की अर्थव्यवस्था को भी झटका लगना है, क्योंकि चीन ना केवल लघु उत्पादों का दुनिया का सबसे बड़ा निर्यातक है, बल्कि क्रूड ऑयल जैसी चीज का सबसे बड़ा आयातक भी है। ऐसे में अगर चीन की अर्थव्यवस्था डांवाडोल होती है, तो उससे पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी।
जानकारों का मानना है कि चीन के अलग-अलग प्रांतों में लग रहे लॉकडाउन और औद्योगिक उत्पादन में आई कमी के कारण उसे क्रूड ऑयल के आयात में कटौती करने के लिए बाध्य होना पड़ सकता है। ऐसा होने से अंतरराष्ट्रीय बाजार से कच्चे तेल की बिक्री पर भी काफी असर पड़ सकता है। चीन के कमजोर आर्थिक आंकड़ों के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की मांग में कमी आने की आशंका बनी है। इसी वजह से आज इसकी कीमत में भी नरमी का माहौल बना है।
जानकारों का कहना है कि कच्चे तेल के आयातकों के लिहाज से एक अच्छी बात अमेरिका और ईरान के बीच 2015 के न्यूक्लियर डील को लेकर एक बार फिर बातचीत की शुरुआत होना भी है। अगर ईरान और अमेरिका यूरोपीय देशों की ओर से न्यूक्लियर डील के संबंध में सुझाए गए ऑफर को मानने पर सहमत हो जाते हैं, तो ईरान पर लगा आर्थिक प्रतिबंध भी खत्म हो जाएगा। ऐसा होने पर अंतरराष्ट्रीय बाजार में ईरान से होने वाले कच्चे तेल की सप्लाई भी शामिल हो जाएगी, जिसकी वजह से कच्चे तेल की वैश्विक कीमत में और नरमी आने के आसार बनेंगे। (एजेंसी, हि.स.)
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