नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय बाजार (international market) में कच्चे तेल (क्रूड ऑयल) की कीमत (Crude oil (crude oil) price) में लगातार हो रही बढ़ोतरी से भारत जैसे कच्चे तेल (crude oil) के आयात पर निर्भर करने वाले देशों की परेशानी बढ़ती जा रही है। क्रूड ऑयल की कीमत फिलहाल अक्टूबर 2018 के बाद के सर्वोच्च स्तर तक पहुंच गई है। इसके कारण भारत में पेट्रोलियम उत्पादों की कीमत पर भी असर पड़ने लगा है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में पिछले कारोबारी सत्र के दौरान ब्रेंट क्रूड की कीमत तगड़ी छलांग लगाते हुए 80 डॉलर प्रति बैरल के स्तर के काफी करीब पहुंच गई। इस कारोबारी सत्र में ब्रेंट क्रूड ने 1.015 डॉलर की तेजी के साथ 79.24 डॉलर प्रति बैरल के स्तर से कारोबार की शुरुआत की। दिन भर के कारोबार के दौरान ब्रेंट क्रूड की कीमत 79.62 डॉलर प्रति बैरल के स्तर तक भी गई लेकिन अंत में 79.53 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर ब्रेंट क्रूड ने कारोबार का अंत किया। इस तरह ब्रेंट क्रूड की कीमत में एक झटके में 1.305 डॉलर प्रति बैरल की बढ़ोतरी हो गई। इसी तरह वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट क्रूड (डब्ल्यूटीआई क्रूड) की कीमत भी 1.49 डॉलर की बढ़ोतरी के साथ 75.43 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुंच गई। डब्ल्यूटीआई क्रूड की कीमत का ये स्तर 17 अक्टूबर, 2018 के बाद का सर्वोच्च स्तर है।
जानकारों के मुताबिक मेक्सिको की खाड़ी में अगस्त के महीने में हुए हादसे और चक्रवाती तूफान इडा की वजह से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की पर्याप्त मात्रा अभी भी सुचारू रूप से नहीं पहुंच पा रही है। दूसरी ओर कोरोना संक्रमण पर काफी हद तक काबू पा लेने के बाद से अमेरिका में आर्थिक और कारोबारी गतिविधियां पूरी रफ्तार से शुरू हो गई हैं। इसकी वजह से अमेरिका के कच्चे तेल का भंडार 3 साल के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया है। ऐसी स्थिति में अपने कच्चे तेल भंडार को दोबारा पूरा करने के लिए अमेरिका कच्चे तेल के वायदा सौदों के साथ ही आक्रामक तरीके से हाजिर सौदे (स्पॉट परचेजिंग) भी कर रहा है। अमेरिका की ओर से जोरदार खरीदारी करने के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की मांग में काफी तेजी आ गई है। इसकी वजह से कच्चा तेल लगातार नई ऊंचाइयों की ओर बढ़ता जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर जल्दी ही मेक्सिको की खाड़ी से होने वाले कच्चे तेल के उत्पादन में सुधार नहीं हुआ तो अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की किल्लत और भी बढ़ सकती है। ऐसे में आने वाले दिनों में क्रूड ऑयल की कीमत प्रति बैरल 90 डॉलर तक भी पहुंच सकती है।
उल्लेखनीय है कि भारत पेट्रोलियम उत्पादों की अपनी अस्सी फीसदी से अधिक जरूरत के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार पर निर्भर करता है। ऐसी स्थिति में अगर कच्चे तेल की कीमत में तेजी आती है, तो भारतीय ऑयल मार्केटिंग कंपनियों को भी पेट्रोलियम उत्पादों की कीमत में बढ़ोतरी करने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है। कच्चे तेल की कीमत में हो रही इस तेजी के कारण भारत में सरकारी ऑयल मार्केटिंग कंपनियों को भी पेट्रोलियम उत्पादों की कीमत में बढ़ोतरी करने के लिए मजबूर होना पड़ा है। आज ही 22 दिन के अंतराल के बाद पेट्रोल की कीमत में 20 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी की गई है। इसके साथ ही पिछले पांच दिनों मे डीजल की कीमत में भी चौथी बार बढ़ोतरी की गई है। (एजेंसी, हि.स.)
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