नई दिल्ली । अंतरराष्ट्रीय बाजार (International market) में कच्चे तेल (Crude oil) की कीमतें छह महीने के निचले स्तर पर पहुंच गई हैं। अधिकारियों ने बताया कि इस वजह से भारतीय खुदरा ईंधन विक्रेताओं को पेट्रोल (petrol) की बिक्री पर घाटा नहीं हो रहा है, लेकिन डीजल (diesel) की बिक्री पर नुकसान जारी है। डीजल देश में सबसे अधिक इस्तेमाल होने वाला ईंधन है।
कच्चे तेल का भाव
वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड 94.91 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर है। वैश्विक मंदी की चिंताओं के कारण कच्चा तेल बीते दिन छह महीने के निचले स्तर 91.51 डॉलर पर आ गया है। कच्चे तेल का मौजूदा भाव भारत के लिए राहत की बात है, क्योंकि देश अपनी 85 प्रतिशत तेल जरूरतों को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भर है।
डीजल पर हो रहा नुकसान
मामले की जानकारी रखने वाले अधिकारियों ने कहा कि कीमतों में गिरावट से इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन जैसे खुदरा ईंधन विक्रेता को अब पेट्रोल पर कोई नुकसान नहीं हो रहा है, लेकिन डीजल पर कुछ घाटा अभी भी जारी है। सरकारी तेल कंपनियों आईओसी, बीपीसीएल और एचपीसीएल ने पेट्रोल और डीजल के खुदरा बिक्री मूल्य को अंतरराष्ट्रीय कीमत के अनुसार नहीं बढ़ाया है। इन कंपनियों ने महंगाई पर काबू पाने के सरकार के प्रयासों का सर्मथनइ करने के लिए ऐसा किया है।
कितना हुआ नुकसान
बता दें कि अंतरराष्ट्रीय तेल कीमतों में बढ़ोतरी के कारण इन कंपनियों को एक समय डीजल पर प्रति लीटर 20 से 25 रुपये और पेट्रोल पर 14 से 18 रुपये प्रति लीटर का नुकसान हो रहा था। एक अन्य अधिकारी ने बताया कि डीजल पर नुकसान घटकर चार से पांच रुपये प्रति लीटर रह गया है।
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