नई दिल्ली. यूक्रेन के साथ युद्ध के बाद अमेरिका-यूरोप (America-Europe) सहित तमाम देशों के प्रतिबंध झेल रहे रूस ने भारत को अपना तेल सस्ते दाम (Cheap price) पर बेचने की पेशकश की तो भारतीय कंपनियों (Indian companies) ने भी इस मौके को लपक लिया. महज तीन महीने के भीतर ही रूस (Russia) से कच्चे तेल का आयात 50 गुना बढ़ गया है.
सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यूक्रेन(Ukraine) के साथ युद्ध शुरू होने से पहले भारत के कुल तेल आयात में रूस की हिस्सेदारी महज 0.2 फीसदी थी. लेकिन, ग्लोबल मार्केट में संकट पैदा होने के बाद रूस ने हमें सस्ती कीमत पर तेल देने की पेशकश की जिसके बाद अब हमारे कुल आयात में उसकी हिस्सेदारी बढ़कर 10 फीसदी पहुंच गई है. अप्रैल से अब तक इसमें 50 गुने का इजाफा हो चुका है.
सऊदी अरब को भी पीछे छोड़ दिया
रूस ने भारत को कच्चा तेल बेचने के मामले में पिछले महीने सऊदी अरब को भी पीछे छोड़ दिया है और दूसरा सबसे बड़ा सप्लायर बन गया है. भारतीय रिफाइनरी कंपनियों ने मई में रूस से करीब 2.5 करोड़ बैरल कच्चा तेल खरीदा जो इराक के बाद सबसे ज्यादा है. यही कारण रहा कि पहली बार रूस से तेल आयात की हिस्सेदारी 10 फीसदी पहुंची है. इससे पहले 2021 और 2022 की पहली तिमाही तक उसकी हिस्सेदारी 0.2 फीसदी तक सीमित थी.
बडे़ डिस्काउंट का मिला फायदा
भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है, जो अपनी कुल जरूरत का 85 फीसदी बाहर से मंगाता है. यही कारण रहा कि जब रूस ने अपना तेल कम कीमत पर देने की पेशकश की तो मोदी सरकार ने इस अवसर को दोनों हाथों से लपक लिया. यूक्रेन संकट के समय ग्लोबल मार्केट में कच्चे तेल का भाव जहां 150 डॉलर के आसपास पहुंच रहा था, वहीं रूस ने भारत को महज 30 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर क्रूड ऑयल की सप्लाई की. इससे भारत को माल ढुलाई पर बढ़ी लागत को भी घटाने में मदद मिली और घेरलू बाजार में पेट्रोल-डीजल की कीमतों को स्थिर बनाए रखा.
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