छतरपुर । कोरोना लॉकडाउन के कारण आर्थिक मंदी के शिकार बाजार में दीवाली के मौके पर कुछ उत्साह नजर आ रहा है, लेकिन पिछले वर्षों के मुकाबले इस वर्ष की दीवाली पर उतनी खरीददारी नहीं हुई जितनी व्यापारियों ने उम्मीद लगा रखी थी। व्यापारी दीवाली के दो दिन पहले मनाए जाने वाले धनतेरस पर काफी आशावान रहते हैं। यह पर्व हर किसी को संपत्ति खरीद करने का मौका देता है, लेकिन इस वर्ष लॉकडाउन के कारण उपजी आर्थिक मंदी के चलते धनतेरस पर भी लोगों ने सिर्फ जरूरी सामग्री की खरीद करने पर ही फोकस किया, हालांकि बाजार में भीड़ तो दिखी, लेकिन व्यापारियों के मुताबिक व्यापार कम रहा।
क्या बोले व्यापारी
सर्राफा कारोबारी चेतन सोनी ने हिस को बताया कि धनतेरस पर जेवर और बर्तन खरीदने की संस्कृति हिन्दू परिवारों में होती है। हर वर्ष इस पर्व के दिन सर्राफा व्यापार में जबर्दस्त उछाल देखने को मिलता है, लेकिन इस साल सर्राफा व्यापार उस तरह नहीं उछला जैसे कि विगत वर्षों में उछलता है। ग्राहक दुकानों पर आ रहे हैं लेकिन सिर्फ जरूरी और सीमित खरीददारी कर रहे हैं।
होम डेकोरेशन की सामग्री एवं जनरल स्टोर संचालित करने वाले संजय गुप्ता ने बताया कि इस वर्ष 50 प्रतिशत गिरावट देखने को मिल रही है। उन्होंने बताया कि एक-एक व्यक्ति के साथ तीन-तीन लोग खरीददारी करने निकले हैं, लेकिन विगत वर्षों में लोग जिस तरह खरीददारी पर हाथ खोलते थे वैसा इस बार नहीं है। बर्तन की दुकानों पर भी यही हाल देखने को मिला।
मिडिल क्लास परेशान, किसान खाली हाथ
धनतेरस पर बाजार में खरीददारी न हो पाने की प्रमुख वजह मिडिल क्लास के ऊपर पड़ी कोरोना लॉकडाउन की मार को बताया जा रहा है। दुकानदार बताते हैं कि दीवाली की खरीद में छोटे मार्केट की ताकत मध्यमवर्गीय परिवार होते हैं। लगभग 8 महीने तक लॉकडाउन और फिर इसके बाद बेरोजगारी बढऩे के चलते मिडिल क्लास का हाथ तंग है। यही हाल किसानों का भी है। खरीफ की फसलें उड़द, मूंग और सोयाबीन की पैदावार या तो न के बराबर हुई या फिर हुई ही नहीं जिसके चलते किसान भी खाली हाथ है। किसानों और मिडिल क्लास की सीमित खरीददारी के कारण बाजार वैसा नहीं चला जैसा हर धनतेरस पर दिखाई देता है।
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