उज्जैन। आज से ठीक सात दिन पहले सावन का महिना शुरू हुआ था। इसके आरंभ होते ही महाकाल सहित अन्स मंदिरों में बाहर से आए श्रद्वालुओं की संख्या बढऩे लगी थी। इसी के साथ ही होटलों और रेस्टोरेंट का कारोबार भी बढऩे लगा है।
उल्लेखनीय है कि कोरोना के कारण पिछले दो साल से होटल और पर्यटन व्यवसाय नाम मात्र का रह गया था। उन दिनों होटल और पर्यटन के कारोबार में करीब 70 प्रतिशत की गिरावट आ गई थी। निजी होटल ही नहीं बल्कि पर्यटन विकास निगम की होटल शिप्रा, यात्रिका और अवंतिका जैसे होटलों में भी बाहर के श्रद्वालुओं ने आना बंद कर दिया था। इसके अलावा महाकाल मंदिर क्षेत्र से लेकर स्टेशन तक मौजूद लगभग 400 छोटे-बड़े रेस्टोरेंट, होटलों और धर्मशालाओं में भी यही हालत थी। कोरोना के दो साल में होटलों और पर्यटन का व्यवसाय पूरी तरह ठप हो गया था। इसके पीछे बड़ा कारण यह था कि महाकाल मंदिर में पहली लहर से ही आम श्रद्वालुओं का प्रवेश मंदिर में रोक दिया था।
फिर भस्म आरती पर प्रतिबंध लग गया था और गर्भगृह में भी श्रद्वालुओं को प्रतिबंधित कर दिया गया था। इन्हीं कारणों से दिल्ली, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश और अन्य दक्षिणी राज्यों से महाकाल आने वाले भक्त लॉकडाउन में कैद होकर रह गए थे। इसी के चलते लगातार दो साल होटल, रेस्टोरेंट, गेस्ट हाउस और धर्मशालाओं का व्यापार निचले स्तर पर चला गया था। व्यवसायियों का कहना है कि अब हालात सामान्य हैं और महाकाल में दर्शन से लेकर सवारी तक को परंपरागत मार्ग से दो साल बाद नई शुरूआत मिल गई है। इसी के चलते अब शहर में खासकर श्रावण के महीने में श्रद्वालुओं की तादात बढ़कर 40 से 50 हजार तक पहुंच गई है। इसी के चलते कारोबार में उछाल आया है और इस बार शनिवार से लेकर सोमवार तक अधिकांश गेस्ट हाउस और होटलें फुल होने लगेगी। एक सप्ताह में होटल और रेस्टोरेंट के कारोबार में लगभग 35 प्रतिशत तक इजाफा हो गया है।
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