नई दिल्ली। करोड़ों की वसूली के टारगेट के मामले में ईडी ने कई दावे किए हैं. ईडी के डॉक्युमेंट्स के अनुसार, मुंबई पुलिस की क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट के प्रमुख के रूप में सचिन वाजे (Sachin Waje) ने ऑर्केस्ट्रा बार मालिकों से उनके सुचारू रूप से कामकाज के लिए कथित तौर पर 4.70 करोड़ रुपये इकट्ठे किए और उन्हें प्रतिबंधित घंटों के बाद भी बार चलाने की अनुमति दी.
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उस पहेली को सुलझाने का दावा किया है, जिसमें मुंबई के बार से करोड़ों रुपये कथित तौर पर महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख (Anil Deshmukh) की जेब में पहुंचे. इंडिया टुडे ने उन डॉक्युमेंट्स को देखा है, जो कि ईडी ने कई महीनों की मेहनत के बाद तैयार किए हैं. केंद्रीय जांच एजेंसी के अनुसार, सचिन वाजे ने दिसंबर, 2020 से फरवरी 2021 के बीच मुंबई के ऑर्केस्ट्रा बार से 4.70 करोड़ रुपये इकट्ठे किए, जिसे बाद में उनके निजी सहायक के जरिए से अनिल देशमुख को सौंप दिया गया.
ईडी के डॉक्युमेंट्स से पता चलता है कि 60 बार मालिकों, जया पुजारी और महेश शेट्टी (Mahesh Shetty) (बार मालिकों और प्रबंधकों) की ओर से सचिन वाजे को दिसंबर, 2020 में गुड लक मनी के रूप में 40 लाख रुपये की राशि का भुगतान किया था. इसके अलावा, मुंबई पुलिस कमिश्नरेट जोन-1 से जोन-7 के अधिकार क्षेत्र में आने वाले ऑर्केस्ट्रा बार की ओर से जनवरी और फरवरी, 2021 के महीनों के दौरान सचिन वाजे को 1.64 करोड़ रुपये की राशि का भुगतान किया गया था.
इसके अलावा, मुंबई पुलिस कमिश्नरेट के जोन-8 से जोन-12 के अधिकार क्षेत्र के तहत जनवरी और फरवरी, 2021 के महीने में ऑर्केस्ट्रा बार की ओर से सचिन वाजे को 2.66 करोड़ रुपये दिए गए थे. सचिन वाजे ने बार मालिकों और मैनेजरों को बताया था कि इस तरह जमा की गई राशि नंबर 1 (अनिल देशमुख) और मुंबई पुलिस की अपराध शाखा और सोशल सर्विस ब्रांच में जाएगी.
मुंबई पुलिस की क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट (crime intelligence unit) के प्रमुख के रूप में, सचिन वाजे ने ऑर्केस्ट्रा बार मालिकों से उनके सुचारू रूप से कामकाज के लिए कथित तौर पर 4.70 करोड़ रुपये इकट्ठे किए और उन्हें प्रतिबंधित घंटों के बाद भी बार चलाने की अनुमति दी. 19 और 21 मई को ईडी के अधिकारियों ने मनी लॉन्ड्रिंग अधिनियम के तहत तलोजा जेल में सचिन वाजे के बयान दर्ज किए, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर दिसंबर 2020 से फरवरी 2021 के बीच बार मालिकों से 4.70 करोड़ रुपये स्वीकार करने की बात कबूल की. उन्होंने यह भी अधिकारियों को बताया कि एकत्रित राशि अनिल देशमुख के निजी सहायक कुंदन संभाजी शिंदे को अनिल देशमुख के निर्देश पर जनवरी और फरवरी के महीने में दो किस्तों में सौंप दिया गया था.
ईडी का दावा है कि सचिन वाजे के आरोपों की पुष्टि दो पुलिस अधिकारियों ने की है, जो अब इस मामले में गवाह बनाए गए हैं. वहीं, डॉक्युमेंट्स के अनुसार ईडी को देशमुख के परिवार द्वारा चलाए जा रहे नागपुर स्थित चैरिटेबल ट्रस्ट श्री साईं शिक्षण संस्थान के बारे में भी पता चला. जांच एजेंसी का दावा है कि हाल ही में ट्रस्ट को दिल्ली स्थित शेल कंपनियों द्वारा दान के नाम पर 4.18 करोड़ रुपये मिले.
डॉक्युमेंट्स में बताया गया है कि ट्रस्ट के बैंक स्टेटमेंट की जांच करने पर पाया गया कि हाल के दिनों में 4.18 करोड़ रुपये की राशि के कई चेक हैं, जो ट्रस्ट को मिले थे. ये चेक ट्रस्ट को दिल्ली की विभिन्न कंपनियों जैसे कि रिलायबल फाइनेंस कॉरपोरेशन प्राइवेट लिमिटेड, वीए रियलकॉन प्राइवेट लिमिटेड, उत्सव सिक्योरिटीज प्राइवेट लिमिटेड और सीतल लीजिंग एंड फाइनेंस प्राइवेट लिमिटेड से प्राप्त हुई थीं. जांच करने पर पता चला कि ये कंपनियां सिर्फ कागजी कंपनियां हैं और केवल ट्रांसफर एंट्री देने का काम करती हैं.
ईडी के अधिकारियों ने दिल्ली की इन कंपनियों की तलाशी ली और उनके मालिकों सुरेंद्र कुमार जैन और वीरेंद्र जैन के बयानों को 17 और 23 जून को दर्ज किया.
दोनों मालिकों ने कथित तौर पर अधिकारियों को बताया कि नागपुर के एक व्यक्ति ने उनसे संपर्क किया और श्री साईं शिक्षण संस्थान को दान की आड़ में ट्रांसफर करने के लिए कहा. दिल्ली स्थित कंपनियों के मालिकों ने कथित तौर पर ईडी को यह भी बताया है कि अनिल देशमुख के बेटे ऋषिकेश देशमुख को एक ऐसे व्यक्ति की तलाश थी, जो कैश के बदले ट्रस्ट को दान दे और इसी को लेकर उनसे संपर्क किया गया था.
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