- बड़ा सवाल यह है कि उज्जैन, जहाँ प्रदेश के मुखिया का घर हैं वहीं यह हाल है तो प्रदेश के अन्य शहरों की स्थिति क्या होगी-न तो ट्रांसफार्मर बदले गए ना ही लोड बढ़ाया गया-पुरानी लाइनों से ही चलाया जा रहा काम
उज्जैन। मेंटेनेंस के नाम पर बिजली कंपनी हर साल करोड़ों रुपए खर्च करती है। बावजूद, बिजली लाइनों में न तो ट्रिपिंग की समस्या दूर हुई, ना ही बिजली के ट्रांसफार्मरों में ओवर लोड की। इससे बिजली कंपनी के सभी मेंटेनेंस कार्यों और व्यवस्थाओं की भी पोल खुल रही हैं।
उल्लेखनीय है कि बिजली कंपनी उज्जैन उपभोक्ताओं को निर्बाध विद्युत आपूर्ति का दावा करता है, लेकिन गर्मी शुरू होते ही कंपनी के यह दावे फेल साबित हो जाते हैं। 24 घंटे तो दूर उपभोक्ताओं को 15 घंटे भी लगातार बिजली सप्लाई नहीं हो पाती हैं। यह स्थित तब है जब बिजली कंपनी हर साल मेंटेनेंस के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च करता हैं। गर्मी शुरू होने से पहले ही मेंटेनेंस के नाम पर कई ट्रांसफार्मरों में लोड और आवश्यक उपकरण आदि बदलने का कार्य किया जाता है, लेकिन हाल जस के तस बने हुए हैं। शहर के पूर्व और पश्चिम दोनों डिविजनों में इन दिनों बिजली जाने की समस्या बरकरार है। कहीं लो-वोल्टेज तो कहीं ट्रांसफार्मर हांफ रहे हैं। कई स्थानों पर जर्जर तार भी गिर रहे हैं। कभी पीएसएस तो कभी फीडर और कभी ट्रांसफॉर्मर खराब होने से 24 घंटे बिजली देने की सरकार की मंशा पूरी नहीं हो रही है। बड़ा सवाल यह है कि उज्जैन जहाँ प्रदेश के मुखिया का घर हैं, जहाँ तमाम मंत्री, अधिकारी, वीआइपी रहते हैं, वहीं यह हाल है तो प्रदेश के पिछड़े क्षेत्रों की स्थिति क्या होगी। बावजूद न तो बिजली विभाग के अधिकारी इस पर ध्यान दे रहे ना ही जिला प्रशासन के अधिकारी।