भोपाल: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) विधानसभा चुनाव (assembly elections) लड़ चुके प्रत्याशियों (candidates) का चुनाव आयोग (election Commission) को अपने खर्चों से संबंधित लेखा जोखा (Statement of account) देने का सिलसिला जारी है. 2533 प्रत्याशियों में से अब तक 2438 प्रत्याशियों ने लेखा जोखा दे दिया है. वहीं, 95 प्रत्याशियों ने अब तक लेखा जोखा नहीं दिया है. चुनाव आयोग ने विधानसभा चुनाव में प्रत्याशियों को खर्च की लिमिट 40 लाख रुपए तय की थी, लेकिन किसी भी प्रत्याशी ने इतनी राशि खर्च नहीं की है.
चुनाव आयोग को दिए हलफनामे के अनुसार सबसे कम खर्च को भाजपा के टिकट पर देपालपुर से चुनाव लड़े मनेाज पटेल ने किया. पटेल ने महज 18 हजार 495 रुपए ही चुनाव में खर्च किए. जबकि सैलाना विधायक कमलेश्वर डोडिया ने 13.34 लाख रुपए खर्च किए हैं.
शिवराज चौहान और मोहन यादव ने कितने खर्च किए?
चुनाव आयोग को दिए हलफनामे के अनुसार पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने विधानसभा चुनाव के दौरान 18 लाख 80 हजार रुपए खर्च किए, उन्हें पार्टी फंड से 20 लाख रुपए की राशि मिली थी. इसी तरह सीएम डॉ. मोहन यादव ने 19 लाख 67 हजार रुपए खर्च किए. उन्हें भी पार्टी फंड से 20 लाख रुपए प्राप्त हुए थे. शेष बचे 1 लाख 66 हजार रुपए उन्होंने पार्टी फंड में जमा करा दिए हैं. इधर पूर्व सीएम कमलनाथ ने स्वयं के व्यय पर चुनाव लड़ा था. उन्होंने पार्टी से फंड नहीं लिया था.
धनवान प्रत्याशियों ने नहीं किए ज्यादा खर्च
प्रदेश के धनवान जनप्रतिनिधियों ने भी विधानसभा चुनाव में ज्यादा राशि खर्च नहीं की है. 242 करोड़ रुपए की सम्पत्ति के मालिक संजय पाठक ने महज 12 लाख 63 हजार रुपए में चुनाव लड़ा, जबकि 177 करोड़ संपत्ति के मालिक निलय डागा ने भी 17 लाख 52 हजार रुपए खर्च किए. इसी तरह 74 करोड़ रुपए की सम्पत्ति के मालिक सुदेश राय ने 33 लाख 16 हजार रुपए खर्च किए.
सबसे ज्यादा किसने किए खर्च?
मध्य प्रदेश में हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा राशि खर्च करने वाले जनप्रतिनिधियों में केपी सिंह 37.38 लाख, राजा मंधवानी 37.20 लाख, सिद्धार्थ कुशवाह 35.82 लाख, कैलाश कुशवाह 34.82 लाख, पीसी शर्मा 34.51 लाख और सजन मंडलोई ने 34 लाख 16 हजार रुपए खर्च किए हैं.
चुनाव आयोग करता है जांच
मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी अनुपम राजन के अनुसार प्रत्याशी अपने खर्च की जानकारी स्वयं देता है. चुनाव आयोग इस खर्च की जांच करता है, आयोग को लगता है कि खर्च में कोई राशि नहीं जुड़ पाई तो प्रत्याशी को नोटिस जारी किया जाता है.
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