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    बारिश से फसलें तबाह, गांवों में नहीं पहुंचा सरकारी अमला

  • October 08, 2022

    • सोयाबीन की फसल को ज्यादा नुकसान
    • रबी की बोबनी भी होगी प्रभावित

    भोपाल। प्रदेश में लगातार हो रही भारी बारिश की वजह से खरीफ की पकी-पकाई फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है। पिछले तीन दिनों से प्रदेश के आधा दर्जन संभागों में लगातार बारिश हो रही है। जबकि यह क्रम पिछले एक पखवाड़े से बना है। अतिवृष्टि की वजह से मक्का,बाजरा की फसलें नष्ट हो चुकी है। जबकि कटाई की बीच सोयाबीन की नष्ट हो गई है। बारिश की वजह से इस बार किसान हार्वेस्टर से भी कटाई नहीं कर पाए हैं। फसलों की भारी तबाही का सर्वे करने के लिए अभी सरकारी अमला गांवों में नहीं उतरा है। खास बात यह है कि कृषि मंत्रालय ने अभी तक इस संबंध में कोई निर्देश जारी नहीं किए हैं।
    प्रदेश में ग्वालियर, चंबल, भोपाल, इंदौर, उज्जैन, जबलपुर, सागर संभाग में सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा है। पिछले महीने प्रदेश के एक दर्जन से ज्यादा जिलों में भारी बारिश से नुकसान पहुंचा था, जिसमें विदिशा जिले को ही मदद पहुंची है। अब चूंकि खरीफ की फसलें पककर कटने के लिए तैयार हो चुकी है, लेकिन बारिश की वजह से फसलें खराब हो गई है। सोयाबीन खेत में ही उग रही है। साथ ही मूंगफली की फसल भी खराब हो गई है। सब्जी की फसलों को भी नुकसान पहुंचा है। बारिश का चक्र बिगडऩे से अभी तक टमाटर की फसल का रकबा 50 फीसदी रह चुका है। अन्य फसलें भी खराब हुई हैं। कृषि विभाग ने अभी तक न तो फसल नुकसान का कोई सर्वे कराया और न ही इस संबंध में कोई निर्देश जारी किए हैं।


    रबी फसल भी प्रभावित होगी
    प्रदेश में भारी बारिश की वजह से खरीफ की फसलें बर्बाद हो चुकी हैं। अब रबी फसलें भी प्रभावित होंगी। जिले के सरसों उत्पादक ग्वालियर, चंबल, उज्जैन, इंदौर और भोपाल संभाग में अभी बुबाई का काम भी शुरू नहीं हुआ है। खरीफ फसलें खेतों में सड़ गई हैं। खेतों में कीचड़ होने की वजह से न तो जुताई हो पाई है और न ही बुबाई का काम हो पाया है। कृषि जानकारों के अनुसार 15 अक्टूबर से पहले सरसों की बुबाई का समय रहता है। चना एवं गेहूं की फसलों पर भी प्रभाव पड़ेगा।

    बिना सर्वे न मुआवजा मिलेगा न बीमा
    प्राकृतिक आपदा की वजह से किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है। कृषि विभाग की लापरवाही की वजह से अभी तक न को फसल नुकसान का जायजा लेने के लिए सरकारी अमला गांवों में पहुंचा और न ही नुकसान का सर्वे हुआ है। इस वजह से प्रभावित किसानों को न तो सरकार की ओर से मुआवजा मिलेगा और न ही फसल बीमा का लाभ मिल पाएगा। किसानों के मामले में इस बार मप्र सरकार के कृषि मंत्रालय द्वारा घनघोर लापरवाही बरती जा रही है।

    बारिश से सोयाबीन की फसल नष्ट हो गई है! इंदौर, उज्जैन, ग्वालियर-चंबल और भोपाल संभाग का बड़ा इलाका इससे ज्यादा प्रभावित है। सरकार से प्रार्थना है कि किसानों को बचाएं। मुख्यमंत्री किसानों को 40 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर का मुआवजा दें।
    जीतू पटवारी, विधायक

     

     

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