भोपाल। प्रदेश के उज्जैन, ग्वालियर, सागर और भोपाल संभाग के कुछ जिलों में ओलावृष्टि से फसलों को हुए नुकसान का सर्वे कराया जाएगा। सर्वे के आधार पर किसानों को राजस्व पुस्तक परिपत्र के प्रविधान के अनुसार नुकसान की भरपाई की जाएगी। इसके लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कलेक्टरों को राजस्व, कृषि और पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के कर्मचारियों का संयुक्त दल बनाकर सर्वे कराने के निर्देश दिए हैं। गौरतलब है कि विदिशा, राजगढ़, गुना सहित अन्य जिलों में ओलावृष्टि की वजह से गेहूं और चना की फसल प्रभावित हुई है। विदिशा के लटेरी क्षेत्र में फसल को अधिक नुकसान हुआ है। वहीं, भोपाल जिले में तेज हवा के साथ वर्षा होने से कुछ जगहों पर खेत में फसल बिछ गई। पूर्व कृषि संचालक जीएस कौशल का कहना है कि चना, अरहर और सब्जियों को बहुत नुकसान हुआ है। चना और अरहर में फूल आ गए थे, जो तेज बारिश से झड़ गए। वहीं, गेहूं की वो किस्म, जिनकी लंबाई अधिक होती है, वो खेतों में बिछ गई है। ये फसल भी प्रभावित होगी। ओलावृष्टि जिन खेतों में हुई है, वहां फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई है। इसका नुकसान किसानों को होगा।
वहीं, कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इस वर्ष बोवनी का काम मध्य दिसंबर तक चलता रहा है। ऐसी फसलों को नुकसान नहीं होगा। नुकसान का आकलन कराया जा रहा है। जिन खेतों में फसलें प्रभावित हुई हैं, उनका पंचनामा तैयार किया जाएगा और राजस्व विभाग के तय प्रविधानों के अनुसार मुआवजा दिया जाएगा। राज्य सरकार के प्रवक्ता गृह मंत्री डा.नरोत्तम मिश्रा ने बताया कि मुख्यमंत्री ने कलेक्टरों को सर्वे के निर्देश दे दिए हैं। किसी भी किसान को घबराने की जरूरत नहीं है। संकट की हर घड़ी में सरकार उनके साथ खड़ी है।
किसान न घबराएं, मुख्यमंत्री खुद कर रहे हैं मॉनिटरिंग
गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने शुक्रवार को कहा कि गुना, राजगढ़ और विदिशा से अतिवृष्टि की सूचना आई थी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान स्वयं इन मामलों की निगरानी कर रहे हैं। उन्होंने राजगढ़ और गुना कलेक्टरों को तत्काल गांवों में जाने को कहा है। भोपाल संभाग में सुबह से पानी गिर रहा है। हमने अतिवृष्टि का आकलन करने के लिए सभी राजस्व अधिकारियों को निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री खुद इस मामले को देख रहे हैं। किसानों को चिंता करने की जरूरत नहीं है। सरकार उनके साथ है।
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