नई दिल्ली। लोकसभा (Lok Sabha) ने सोमवार को आपराधिक प्रक्रिया (पहचान) विधेयक- 2022 (Criminal Procedure (Identity) Bill- 2022) को ध्वनिमत से पारित (passed by voice vote) कर दिया। विधेयक पुलिस को अपराध के दोषी और अन्य की जांच व पहचान के लिए बायोमेट्रिक जानकारी लेने का अधिकार देता है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को लोकसभा में आपराधिक प्रक्रिया (पहचान) विधेयक 2022 पेश किया। लोकसभा में विधेयक पर चर्चा की शुरुआत करते और जवाब देते हुए गृह मंत्री ने कहा कि यह विधेयक बंदी शिनाख्त अधिनियम 1920 का स्थान लेगा। सरकार की मंशा इसके पीछे कानून को मजबूत करना है, बंदियों को सजा के बाद सुधारने का प्रयास करना है और कानून एवं व्यवस्था को मजबूत करना है।
उन्होंने कहा कि विधेयक यह सुनिश्चित करेगा कि पुलिस अपराधियों से दो कदम आगे रहे। अगली पीढ़ी के अपराधों को पुरानी तकनीकों से नहीं निपटा जा सकता है। आपराधिक न्याय प्रणाली को अगले युग में ले जाने का प्रयास करना होगा।
विपक्ष की ओर से विधेयक पर चर्चा के दौरान मानवाधिकार का मुद्दा उठाया गया। इसपर गृहमंत्री ने कहा कि मानवाधिकारों का हवाला देने वालों को भी रेप पीड़ितों के मानवाधिकारों के बारे में सोचना चाहिए। विपक्ष केवल बलात्कारियों, लुटेरों की चिंता करते हैं, लेकिन केंद्र को कानून का पालन करने वाले नागरिकों के मानवाधिकारों की चिंता है।
उन्होंने कहा कि विधेयक पर डेटा प्रोटेक्शन को लेकर संदेह व्यक्त किया जा रहा है। वह सदन को आश्वस्त करते हैं कि विधेयक किसी दुरुपयोग के लिए नहीं लाया गया है और इसमें डेटा के दुरुपयोग की कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने कहा कि विधेयक को लाने का यह बिल्कुल सही अवसर है अन्यथा जरूरी बदलाव में देरी हो जाएगी।
इससे पहले विपक्ष ने विधेयक को संसद की स्थाई समिति को भेजने का अनुरोध किया। कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा कि इससे राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो को 75 वर्षों के लिए सैंपल डाटा इकट्ठा करने का अधिकार मिलेगा। डेटा प्रोटेक्शन अधिनियम के बिना अपराध के मामले में निर्दोष साबित होने पर अपना डाटा हटाना मुश्किल होगा। इस कानून के नागरिक अधिकार और स्वतंत्रता भी प्रभावित होगी। (एजेंसी, हि.स.)
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