यातायात का बंटाढार…ढाई हजार दुर्घटनाएं…लूट जरूर आधी हो गई
इंदौर। शहर में पुलिस कमिश्नरी (police commissariat) लागू होने के बाद अपराधों (crimes) में कुछ खास कमी देखने को नहीं मिल रही है। दस माह की बात करें तो हत्या (murder), दुर्घटनाएं (accidents) और चोरी की घटनाएं बढ़ी हैं, वहीं लूट (robbery) में मामूली कमी देखने को मिली है।
पिछले साल दिसंबर में शहर में पुलिस कमिश्नरी (police commissariat) लागू हुई थी, जिसका मकसद था कि गंभीर अपराधों में कमी आए और लोगों को राहत मिले, लेकिन शहर में दस माह में 50 हत्याएं हुई हैं, जबकि पिछले साल इस अवधि में 40 हत्याएं हुई थीं। इस माह भी हत्या का सिलसिला जारी है। दो दिन से शहर में हत्या की घटनाएं हो रही हैं। पुलिस कमिश्नरी में यातायात सुधार के बड़े दावे किए गए थे। यातायात पुलिस (traffic police) को अलग से तीन सौ लोगों का बल भी दिया गया था। यातायात में कुछ सुधार देखने को अवश्य मिला है, लेकिन पिछले दस माह में 2500 दुर्घटनाएं हुई हैं, जबकि पिछले साल इस अवधि में 2000 दुर्घटनाएं हुई थीं। 500 दुर्घटनाएं अधिक हुई हैं। हालांकि शहरी क्षेत्र में दुर्घटनाओं में कमी आई है। मरने वालों का आंकड़ा भी कम हुआ है। हर साल शहर में जितनी हत्याएं होती हैं, उससे कई गुना अधिक लोग दुर्घटनाओं में जान गंवाते हैं। हर साल 500 के आसपास लोगों की दुर्घटनाओं में मौत होती है। यह आंकड़ा लगभग वहीं है। चोरी की घटनाएं भी दस माह में बढ़ी हैं। इस साल चोरी के 400 केस दर्ज हुए, जबकि पिछले साल 300 दर्ज हुए थे। लूट में अवश्य कमी आई है। इस बार लूट की 25 घटनाएं दर्ज हुई हैं, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 50 था। चेन लूट की बात करें तो इस साल 28 घटनाएं हुई हैं, जबकि पिछले साल दस माह में 29 घटनाएं हुई थीं।
मरने वालों में युवा अधिक
यातायात डीसीपी महेशचंद्र जैन का कहना है कि शहर में बारिश के कारण हुए गड्ढे दुर्घटना का प्रमुख कारण रहे। इसके अलावा वाहनों की बढ़ती संख्या और आबादी लगातार बढऩा भी प्रमुख कारण हैं। दुर्घटना का शिकार होने वाले लोगों में युवा सबसे अधिक हैं। एजुकेशन हब होने के कारण शहर में हर साल बड़ी संख्या में छात्र आते हैं और ये लोग यातायात नियमों का पालन नहीं करते, जिसके चलते दुर्घटना का शिकार होते हैं।
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