इंदौर (Indore)। शहर में पुलिस कमिश्नरी भी अपराधों पर अंकुश नहीं लगा पा रही है और शहर में अपराध का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है। इसमें शहर के 5 थानों की अहम भूमिका है। यहां हर माह 100 से अधिक केस दर्ज हो रहे हैं। दो थाने तो ऐसे हैं, जहां एक माह में 175 और 150 केस दर्ज हुए हैं। डेढ़ साल पहले शहर में पुलिस कमिश्नरी सिस्टम लागू किया गया था और शहर के 34 थाने इसमें शामिल किए गए थे, जबकि देहात के थाने हटा दिए गए थे, ताकि अपराधों पर नियंत्रण हो सके। लेकिन शहर के थानों में छह माह में दर्ज अपराधों के आंकड़े बता रहे हैं कि यह अब तक बेसर है। इसमें भी 40 प्रतिशत अपराध तो केवल 5 थानों में दर्ज हो रहे हैं और ये थाने ही अपराध का ग्राफ बढ़ा रहे हैं।
ये हैं 5 थाना क्षेत्र, जहां हर माह प्रकरणों की भरमार रही
नंबर वन पर सालों से काबिज बाणगंगा थाना अभी भी नंबर वन बना हुआ है। यहां छह माह में 1050 केस दर्ज हुए हैं, यानी हर माह 175 केस। दूसरे नंबर पर लसूडिय़ा थाना है, जहां छह माह में 918 केस दर्ज हुए हैं। यहां प्रतिमाह 153 केस दर्ज हो रहे हैं। इसके अलावा विजय नगर में छह माह में 615, भंवरकुआं में 670 और चंदन नगर में 695 केस दर्ज हुए हैं, जो हर माह 100 से अधिक है।
सराफा में सबसे कम संवेदनशील पंढरीनाथ में भी कम अपराध
जहां इन पांच थानों में हर माह सौ से अधिक केस दर्ज हो रहे हैं, वहीं शहर के दो थाने सराफा और पंढरीनाथ ऐसे हैं, जहां नाममात्र के अपराध दर्ज हुए हैं। सराफा में छह माह में केवल 70 केस दर्ज हुए हैं, जबकि संवेदनशील माने जाने वाले पंढरीनाथ थाने में छह माह में 105 केस दर्ज हुए हैं। सराफा में हर माह 11 और पंढरीनाथ में हर माह केवल 17 केस दर्ज हुए हैं। इसके पीछे पुलिस का तर्क है कि यह क्षेत्र व्यावसायिक हो गए हैं और यहां रहवासी क्षेत्र न के बराबर है, इसलिए अपराध कम होते हैं।
तीन थानों को तोडऩे का प्रस्ताव अटका है
इन थानों में से तीन थानों बाणगंगा, लसूडिय़ा और भंवरकुआं को तोडक़र तीन नए थाने क्रमश: सुपर कॉरिडोर, महालक्ष्मीनगर और पालदा का प्रस्ताव शासन के पास पेंडिंग है। इसके चलते यहां अपराधों पर लगाम नहीं लग पा रही है।
पुलिस भी कम नहीं…13-13 कैमरों से लैस होने के बाद भी थानों में हो रही ज्यादती
थानों में ज्यदती रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सभी थानों को कैमरों से लैस किया गया था और प्रत्येक थाने में 13-13 कैमरे लगाए गए थे, लेकिन इसके बाद भी थानों में ज्यादती पर अंकुश नहीं लग सका है। इसका ताजा उदाहरण है तिलकनगर थाने में एक महिला से हुई ज्यादती।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पिछले साल शहर के सभी 34 थानों को कैमरों से लैस करने की कवायद शुरू हुई थी। इस दौरान हर थाने का कोई क्षेत्र कैमरे से न बचे, इसके लिए योजना बनाई गई थी और हर थाने में 13-13 कैमरे लगाए गए थे, लेकिन इसके बावजूद कल तिलकनगर थाने का एक मामला सामने आया है। 21 लाख की चोरी में पुलिस धार की रचना शर्मा नामक महिला को थाने लाई थी और उसकी इतनी पिटाई कर दी कि हड्डियां टूट गईं और फ्रैक्चर हो गया। मामला प्रकाश में आने के बाद एक आरक्षक के खिलाफ केस दर्ज कर उसे सस्पेंड कर दिया गया है। इसके पहले भी विजयनगर थाने में एक युवक को चोरी के मामले में लाया गया था। बाद में उसे छोड़ दिया गया तो उसने आत्महत्या कर ली थी। यहां लगे सीसीटीवी कैमरे में उसे लाते हुए पुलिसकर्मी कैद हुए थे। परिवार के चक्काजाम करने के बाद पुलिसकमियों को सस्पेंड किया गया था, जो बताता है कि थाने के स्टाफ को कैमरे का भी भय नहीं है या फिर थाने के कुछ क्षेत्र को कैमरों की जद से बचा लिया गया है, ताकि रिश्वतखोरी और ज्यादती के मामलों से बच सकें।
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