भोपाल। भोपाल पुलिस कमिश्नर सिस्टम में सब कुछ बदल गया है। राजधानी भोपाल की पुलिस खुद ही निगरानी में आ गयी है। उस पर क्राइम ब्रांच पुलिस नजर रखेगी। जो भी स्टाफ गड़बड़ करेगा उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। अब जमीनी स्तर पर कसावट और पुलिस की छवि सुधारने के लिए क्राइम ब्रांच का सहारा लिया गया है। इस नए फॉर्मूले के तहत पुलिस थाना स्तर पर बनाए गए बीट अधिकारियों की निगरानी के लिए क्राइम ब्रांच के अधिकारी कर्मचारी को काउंटर बीट प्रभारी बनाया गया है। इस सिस्टम से थाना स्तर पर नजर रखी जाएगी और अवैध गतिविधियों में शामिल पुलिस के बीट अधिकारी पर कार्रवाई भी की जाएगी।
उज्जैन से शुरुआत
एडिशनल पुलिस कमिश्नर सचिन अतुलकर ने उज्जैन के फॉर्मूले को इस पुलिस कमिश्नर सिस्टम में लागू किया है। इसके तहत थाना स्तर पर पुलिसिंग को मजबूत करने के लिए कांस्टेबल और हेड कांस्टेबल को बीट अधिकारी बनाया गया। यह सब उस इलाके की कानून और सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करने के लिए किया गया ताकि उस इलाके की सभी तरीके की जानकारी उस बीट अधिकारी के पास रहे। लेकिन अब सचिन अतुलकर ने इससे एक कदम आगे बढ़ते हुए पुलिस अधिकारी की मॉनिटरिंग का सिस्टम भी तलब किया है।
ऐसे काम करेगी क्राइम ब्रांच
क्राइम ब्रांच टीम के अधिकारी कर्मचारी बीट प्रभारी रहेंगे। उनकी रिपोर्टिंग वरिष्ठ अधिकारियों को रहेगी।
-थाना स्तर पर बने बीट अधिकारी की गतिविधियों पर बीट प्रभारी नजर रखेंगे। उनकी मॉनिटरिंग की जाएगी और उनकी रिपोर्ट तैयार की जाएगी। बीट अधिकारी के रहते हुए इलाके में अवैध गतिविधियां हुईं तो उसकी जानकारी भी बीट प्रभारी को अफसरों को देना होगी। बीट प्रभारी की रिपोर्ट पर बीट अधिकारी पर कार्रवाई की जाएगी। इस सिस्टम से बीट इलाके की मॉनिटरिंग होगी। क्राइम ब्रांच पूरे शहर में किसी भी थाना इलाके में किसी भी तरीके की कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र है।
ऐसी होगी कार्रवाई
सचिन अतुलकर ने कहा थाने के जो भी आरक्षक और हेड कांस्टेबल बीट अधिकारी हैं, उन पर काउंटर बीट प्रभारी बनाया गया है। ये बीट प्रभारी क्राइम ब्रांच के अधिकारी कर्मचारी रहेंगे। बीट प्रभारी पर्यवेक्षक का काम करेंगे। उन्होंने कहा यदि संज्ञान में जानकारी आती है कि बीट इलाके में अवैध गतिविधि चल रही है तो उन पर कार्रवाई की जाएगी।
कामकाज की मॉनिटरिंग
इस फार्मूले का मकसद बीट अधिकारियों की ईमानदारी और कामकाज की मॉनिटरिंग करना है। अधिकारियों का मानना है इससे बीच में काम करने वाले पुलिसकर्मियों की वर्किंग में कसावट और जिम्मेदारी आएगी। यदि कोई लापरवाही या अवैध गतिविधियों में शामिल रहेगा तो उसकी मॉनिटरिंग भी होगी। उस पर वैधानिक प्रावधानों के तहत कार्रवाई भी की जाएगी।
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