– क्रिकेट के लिए पिता को नहीं थी दिलचस्पी, बड़े भाई ने किया था सहयोग
लुधियाना। पूर्व भारतीय क्रिकेटर यशपाल शर्मा के निधन पर उनके बड़े भाई बीके शर्मा ने गमगीन माहौल में बातचीत करते हुए बताया कि यश बचपन से ही हमारे साथ रहे और मैंने उनका अपने बच्चों की तरह ख्याल रखा था और आज मेरी बाजू दुनिया से चली गई है। उनका निधन परिवार के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए एक कभी ना पूरा होने वाला नुकसान है। इस बातचीत के दौरान उनकी आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे।
1983 में कपिल देव की कप्तानी में विश्व कप विजेता टीम का महत्वपूर्ण हिस्सा रहे यशपाल शर्मा के निधन से उनके पैतृक शहर लुधियाना में शोक की लहर है। मंगलवार को उनके निवास स्थान पर दुख का प्रकटावा करने वाले लोगों की भीड़ लगी हुई थी।
बड़े भाई बीके शर्मा ने नम आंखों के साथ बातचीत में बताया कि क्रिकेट उनके लिए गॉड गिफ्ट था। शुरू में हमारे पिता स्वर्गीय बाबूराम शर्मा जी यश को खेलते देखते थे, लेकिन उनकी क्रिकेट में दिलचस्पी नहीं थी। वह हमेशा उन्हें पढ़ाई में दिलचस्पी लेने के लिए कहते थे। मगर मैंने यश को हमेशा क्रिकेट के लिए सपोर्ट किया और देखा कि उसका भविष्य क्रिकेट के लिए काफी अच्छा है। यश के दिल में कुछ बनकर दिखाने का जुनून शुरू से ही सवार था और जब मैंने पिता को यश के खेल के बारे में बताया तो उसके बाद हमारे पिताजी ने भी इस बात में दिलचस्पी ली।
उन्होंने बताया कि 1983 में जब भारतीय क्रिकेट टीम वर्ल्ड कप जीत कर आई थी तो लुधियाना पहुंचने पर यशपाल का शहर वासियों ने बैंड बाजों के साथ स्वागत किया था। वह लुधियाना के नौजवानों को हमेशा कहा करते थे कि मेहनत करो, मेहनत बहुत जरूरी है, जैसे मैं इंडिया टीम में खेला हूं, वैसे आप भी खेल सकते हो।
उन जैसा कोई मेहनती इंसान नहीं था : भूपिंदर सीनियर
भारतीय टीम के चयनकर्ता रहे चुके भूपिंदर सिंह सीनियर ने यशपाल के निधन को अपने लिए का गहरा झटका बताया। उन्होंने बताया कि 1986 में उनके साथ मुझे रणजी ट्रॉफी खेलने का मौका मिला था, क्योंकि वह भी पंजाब टीम का एक हिस्सा थे। वह हमेशा हमें खेल के लिए गाइड करते रहते थे और हमेशा युवाओं को मेहनत करने के लिए कहते थे। उन जैसा कोई मेहनती इंसान नहीं था। यह हमारे क्रिकेट जगत के लिए कभी ना पूरा होने वाला घाटा है। उनकी सलाह को हम बहुत वैल्युएबल समझते थे। वह क्रिकेट के स्तंभ थे और सीनियर होने के साथ-साथ वह बहुत ही अच्छे इंसान थे। जिन्होंने मेहनत करके भारतीय क्रिकेट टीम में अपनी जगह बनाई थी।
उनकी क्रिकेट देखकर ही मैं प्रेरित हुआ : राकेश सैनी
लुधियाना से पूर्व रणजी खिलाड़ी और पंजाब सिलेक्शन कमेटी (जूनियर) चेयरमैन राकेश सैनी ने कहा कि आज क्रिकेट का एक सितारा हमें सदा के लिए अलविदा कह गया है। इस सितारे ने हमारे शहर का नाम विश्व स्तर पर चमकाया। सैनी ने कहा कि वह हमसे बहुत सीनियर थे और बहुत ही ज्यादा मेहनती इंसान थे। उनकी क्रिकेट को देखकर ही मैं क्रिकेट के लिए प्रेरित हुआ। उन्होंने कहा कि मैं ही नहीं लुधियाना के कई क्रिकेटर उनको देखकर ही मैदान में आए। उनके क्रिकेट में एक अलग ही जादू था। जिन को देखकर हम क्रिकेट खेलना सीखे। उनके अचानक निधन का समाचार सुनकर मुझे बहुत ही गहरा सदमा लगा है।
क्रिकेट करियर पर नजर
यशपाल शर्मा ने अगस्त 1979 में इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू किया और आखिरी टेस्ट मैच 1983 में उन्होंने वेस्टइंडीज के खिलाफ खेला। उन्होंने कुल 37 टेस्ट मैच खेले। टेस्ट में 33.45 की औसत से 1606 रन बनाए। इसके अलावा 42 एकदिवसीय मैचों में उन्होंने 28.48 की औसत से 883 रन बनाए। वह 1983 वर्ल्ड कप में भारत के लिए एक बड़े मैच परफॉर्मर थे। उन्होंने घरेलू क्रिकेट में पंजाब, हरियाणा और रेलवे का प्रतिनिधित्व किया। वे भारतीय क्रिकेट टीम के राष्ट्रीय चयनकर्ता भी रहे। वे कुछ वक्त तक उत्तर प्रदेश रणजी टीम के कोच भी रहे। (एजेंसी, हि.स.)
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