नई दिल्ली। भारत में क्रेडिट कार्ड की संख्या 15 प्रतिशत की सालाना वृद्धि दर के साथ 20 करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद है, पीडब्ल्यूसी की एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है। कहा गया है कि क्रेडिट कार्ड उद्योग ने पिछले पांच वर्षों में जारी किए गए क्रेडिट कार्ड की संख्या को दोगुना करते हुए महत्वपूर्ण विस्तार हासिल किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह गति जारी रहने की उम्मीद है, आने वाले वर्षों में बाजार यह वृद्धि दोहरा सकती है।
रिपोर्ट में कहा गया है, “भारत में क्रेडिट कार्ड बाजार में वित्त वर्ष 28-29 तक कार्डों की संख्या दोगुनी होने की उम्मीद है, और यह आंकड़ा 20 करोड़ कार्ड तक पहुंच जाएगा। क्रेडिट कार्ड उद्योग में पिछले पांच वर्षों के दौरान 100 प्रतिशत की वृद्धि दिखी है। अगले पांच वित्तीय वर्षों के भीतर बाजार इस वृद्धि को दोहरा सकती है।”
रिपोर्ट में कहा गया है कि क्रेडिट कार्ड जारी करने के अलावे इनसे होने वाली लेन-देन गतिविधियों में भी पर्याप्त वृद्धि आई है। लेन-देन की मात्रा या संख्या में 22 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि लेन-देन के मूल्य में 28 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। रिपोर्ट में इस वृद्धि का श्रेय नए उत्पादों की शुरूआत, अभिनव पेशकशों और ग्राहक खंडों के विस्तार को दिया गया है।
हालांकि, रिपोर्ट में डेबिट कार्ड के उपयोग में गिरावट का भी उल्लेख किया गया है। डेबिट कार्ड लेन-देन की मात्रा और मूल्य दोनों में कमी आई है। यह उपभोक्ता वरीयताओं में बदलाव को दर्शाता है। वित्त वर्ष 23-24 में, डेबिट कार्ड के लिए लेन-देन की मात्रा पिछले वर्ष की तुलना में 33 प्रतिशत कम हो गई, और डेबिट कार्ड पर खर्च साल-दर-साल 18 प्रतिशत कम हो गया।
रिपोर्ट में कहा गया है, “देश में डेबिट कार्ड ने कार्ड जारी करने के मामले में धीमी वृद्धि देखी है। डेबिट कार्ड की मात्रा और मूल्य में वित्त वर्ष 23-24 के दौरान महत्वपूर्ण गिरावट आई है”। इस गिरावट का श्रेय यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) की बढ़ती लोकप्रियता को दिया जाता है , जो उपयोग में आसान है और अपने शून्य मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) के कारण छोटे से मध्यम व्यापारियों के लिए पसंदीदा भुगतान पद्धति बन गया है।
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