नई दिल्ली: चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) को लेकर लोगों की उत्सुकता (curiosity) बढ़ती जा रही है. ऐसे में चांद (Moon) पर चंद्रयान की लैंडिंग (Landing) को लेकर लोगों के मन (Mind) में अलग-अलग सवाल (Question) उठ रहे हैं. लैंडिग के दौरान क्या-क्या होगा और चंद्रयान-3 को किन-किन बाधाओं (obstacles) का सामना करना पड़ेगा? ये सवाल तो हर किसी के मन में होगा. पृथ्वी और चांद (earth and moon) के वातावरण और समय (environment and time) में काफी अंतर है. हालांकि, इन सब बातों का ख्याल रखते हुए ही चंद्रयान-3 को तैयार किया गया है. फिर भी लैंडिंग करते समय चंद्रयान को कई चुनौतियां का सामना करना पड़ेगा.
पहली चुनौती तो यह होगी कि चंद्रयान को किसी भी दुर्घटना से बचाने के लिए वर्टिकल वेलोसिटी को सही से नियंत्रित किया जाए. दूसरी चुनौती यह होगी कि चांद की सतह पर काफी बोल्डर और क्रेटर (गड्ढे) हैं इसलिए सॉफ्ट लैंडिंग के दौरान लैंडर को दिक्कत हो सकती है. चांद पर गड्ढे में सोलर को सूरज की भरपूर रोशनी नहीं मिल पाएगी क्योंकि वहां पर कोई वातावरण नहीं है इसलिए लैंडिंग के लिए पैराशूट या ग्लाइडिं से भी मदद नहीं मिल सकेगी.
23 अगस्त को लैंड नहीं हो पाया चंद्रयान-3 तो क्या होगा?
एक सवाल यह भी है कि अगर किसी वजह से लैंडर 23 अगस्त को चांद पर उतरने में कामयाब नहीं हो पाया तो फिर आगे क्या होगा? ऐसे में चंद्रयान को दोबारा लैंडिंग के लिए करीब एक महीने का इंतजार करना होगा और तब तक उसको चांद की कक्षा में ही रखा जाएगा. पृथ्वी के 29 दिनों के बराबर चांद का एक दिन होता है. यानी 14 दिनों का दिन और 14 दिनों की रात. वहां पर एक दिन 24 घंटे का नहीं बल्कि, 708.3 घंटों का होता है. चांद पर फिलहाल अंधेरा है और 23 अगस्त को यहां चांद की रोशनी पड़ेगी. ऐसे में अगर 23 अगस्त को चंद्रयान-3 चांद पर लैंड नहीं कर पाता है तो उसको 29 दिनों का इंतजार करना होगा.
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