नई दिल्ली। कोरोना वायरस की दूसरी लहर के बीच सरकार ने लोगों को वैक्सीनेट करने की प्रक्रिया भी तेज करने की कोशिश शुरू कर दी है। इन सबके बीच रूस की वैक्सीन स्पुतनिक V को भी भारत में इमरजेंसी यूज की मंजूरी दे दी है और अगले सप्ताह से यह वैक्सीन भी भारत के लोगों को लगनी शुरू हो जाएगी। फिलहाल भारत में सीरम इंस्टिट्यूट की कोविशील्ड और भारत बायोटेक की कोवैक्सीन- इन दोनों वैक्सीन की डोज लग रही है। लेकिन इन तीनों में से कौन सी वैक्सीन कितनी असरदार है और किसके क्या साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं, इस बारे में हम आपको यहां बता रहे हैं।
प्रभावकारिता यानी वैक्सीन की क्षमता की बात करें तो रूस की स्पुतनिक V 91.6 प्रतिशत असरदार है और बीमारी की गंभीरता को कम करने में इसकी प्रतिक्रिया काफी अधिक है। इसकी तुलना में कोवैक्सीन 81 प्रतिशत असरदार है तो वहीं कोविशील्ड की 70.4 प्रतिशत। लेकिन अगर दोनों डोज के बीच जरूरी अंतर रखा जाए तो इसे 90 प्रतिशत तक बढ़ाया जा सकता है।
रूस की स्पुतनिक V दो अलग-अलग एडिनोवायरस से मिलकर बनी है जो कॉमन कोल्ड यानी सर्दी जुकाम के लिए जिम्मेदार वायरस है। तो वहीं कोविशील्ड भी स्पुतनिक जैसी ही वैक्सीन है जो कॉमन कोल्ड वायरस के कमजोर वर्जन से बनी है। तो वहीं कोवैक्सीन एक निष्क्रिय वैक्सीन है जिसे मृत कोरोना वायरस से बनाया गया है।
स्पुतनिक V वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स
रूस की स्पुतनिक V वैक्सीन को इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी देने वाला भारत 60वां देश बन गया है। यह वैक्सीन शरीर में एंटीबॉडी के उत्पादन को उत्तेजित करता है। फरवरी 2021 में लैंसेट में प्रकाशित स्टडी के मुताबिक स्पुतनिक V के कॉमन साइड इफेक्ट्स में शामिल है-
कोवैक्सीन के साइड इफेक्ट्स
भारत बायोटेक की कोवैक्सीन इम्यून सिस्टम को ट्रेनिंग देता है ताकि वह भविष्य में इस वायरस की पहचान कर पाए। कोवैक्सीन के फैक्ट शीट के मुताबिक निम्न साइड इफेक्ट्स देखने को मिल सकते हैं:
कोविशील्ड के साइड इफेक्ट
भले ही दुनियाभर के 62 देशों में ऑक्सफोर्ड-एस्ट्रेजेनेका की वैक्सीन कोविशील्ड का इस्तेमाल हो रहा हो लेकिन मौजूदा समय में इस वैक्सीन के कई साइड इफेक्ट्स सामने आए हैं जिसकी वजह से यह वैक्सीन सवालों के घेरे में है, खासकर ब्लड क्लॉट यानी खून का थक्का जमने का साइड इफेक्ट। कोविशील्ड से जुड़े साइड इफेक्ट्स हैं-
आपको कौन सी वैक्सीन चुननी चाहिए?
फिलहाल 18 से 44 साल के लोग प्राइवेट सेंटर पर अपनी पसंद की वैक्सीन चुन सकते हैं। लेकिन 45 साल से अधिक उम्र के लोग, हेल्थकेयर से जुड़े लोग और इसेंशियल वर्कर के पास वैक्सीन चुनने का विकल्प नहीं होगा। इसके अलावा सरकारी वैक्सीन सेंटर पर जो वैक्सीन मौजूद होगी उसी के आधार पर वह लोगों को लगायी जाएगी। साथ ही इन तीनों में जिस वैक्सीन की पहली डोज लगायी गई है, दूसरी डोज भी उसी कंपनी की वैक्सीन की लगनी जरूरी है।
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