डेस्क: कंप्यूटर सिमुलेशन पर आधारित एक अध्ययन के अनुसार, कोरोना वायरस अभी भीअत्यधिक संक्रामक है. अमेरिका के रोचेस्टर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (RIT) के शोधकर्ताओं ने पाया कि कोविड वायरस अपने स्पाइक प्रोटीन का उपयोग करते हैं. इससे वायरस में लगातार म्यूटेशन होता रहता है. करीब तीन साल बाद भी ये वायरस मैमल्स (स्तनधारी जीव) में काफी संक्रामक है और उनसे इनका इंसानों में प्रसार का खतरा अभी भी बना हुआ है.
रॉयल सोसाइटी ओपन साइंस जर्नल में प्रकाशित निष्कर्ष बताते हैं कि कैसे कई SARS-CoV-2 वेरिएंट में वायरल स्पाइक प्रोटीन हैं, जो जीनस राइनोलोफस के विभिन्न चमगादड़ों में ACE2 के रूप में जाने जाने वाले सेल रिसेप्टर्स के साथ मिल जाते हैं. यानी, वायरस चमगादड़ों के शरीर में रिस्पेटर के साथ मिलकर फिर से एक्टिव हो सकते हैं.
आरआईटी के एसोसिएट प्रोफेसर ग्रेगरी बेबबिट के मुताबिक “हम उम्मीद कर रहे थे कि इंसान इस वायरस के अनुकूल हो रहे हैं और स्तनधारी जीव जैसे चमगादड़ों में भी वायरस का खतरा कम हुआ है, लेकिन ऐसा नहीं है . हमने वास्तव में देखा कि इस वायरस में बहुत अधिक बदलाव नहीं हुआ है. ऐसे में वायरस अभी भी खतरनाक बना हुआ है.
वैज्ञानिकों का मानना है कि चमगादड़ ने पहली बार दिसंबर 2019 में कोरोना को मनुष्यों में प्रसारित किया था, और तब से यह वायरस डेल्टा और ओमिक्रॉन जैसे कई रूपों में विकसित हुआ है. अध्ययन से पता चलता है कि तब से इसके कई सारे वेरिएंट लगातार आ रहे हैं और भविष्य में नए वेरिएंट आने का खतरा बना हुआ है.
चमगादड़ों में वायरस अभी भी एक्टिव हो सकता है, जिससे इंसानों में संक्रमण का खतरा है. इस रिसर्च से ये साफ होता है कि वायरस के स्पाइक प्रोटीन में अभी भी बदलाव हो रहा है और स्तनधारी जीवों में यह अभी भी काफी संक्रामक है. ऐसे में यह नहीं मानना चाहिए कि कोविड दुनिया से खत्म होने की कगार पर है.
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