डेस्क: चीन समेत दुनियाभर के कई देशों में कोरोना वायरस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. इसको देखते हुए भारत भी अलर्ट मोड़ पर है. जब भी किसी देश या इलाके में कोविड का ग्राफ बढ़ता है तो इससे लोगों के मन में कई प्रकार की चिंता होने लगती है. लॉकडाउन का डर समेत बीमारी से संक्रमित होने कि चिंता सताने लगती है. ऐसा लगता है कि अगर संक्रमित हो गए तो क्या होगा. मन में हो रही हताशा और डर का सीधा असर मेंटल हेल्थ पर भी पड़ता है. जिससे एंग्जाइटी डिसऑरर्डर और पैनिक अटैक जैसी परेशानी हो सकती है.
देश में कोरोना की पिछली तीन लहरों में देखा गया है कि कोविड की वजह से लोगों को एंग्जाइटी और पैनिक अटैक जैसी परेशानियां होने लगती हैं. बेवजह की चिंता से लोग एंग्जाइटी डिसऑर्डर का शिकार हो जाते हैं. एंग्जाइटी के बढ़ने की वजह से पैनिक अटैक भी आने लगते हैं. इसमें लोगों के दिल की धड़कन अचानक तेज हो जाती है, पसीना भी आने लगता है. गले सूखने लगता है और जी मिचलाने की परेशानी भी हो जाती है.पैनिक अटैक पांच से 15 मिनट तक हो सकता है.
पैनिक अटैक जानलेवा नहीं होते, लेकिन लगातार इनके होने से मेंटल हेल्थ पर भी असर पड़ सकता है. मनोरोग विशेषज्ञ डॉ राजकुमार बताते हैं कि पैनिक अटैक बिना किसी पूर्व लक्षण के भी हो जाता है. ऐसे भी जरूरी नहीं है कि ये सोते समय ही हो, कई ऐसे केस भी जहां चलते-फिरते या फिर ड्राइविंग करते समय भी पैनिक अटैक हो जाता है. यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप क्या सोच रहे है और मन में एग्जाइटी या किसी बात का डर तो नहीं है.
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