रायगढ़। महाड कोर्ट (Mahad Court) ने एक अहम फैसले में कहा है कि राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Chief Minister Uddhav Thackeray) के खिलाफ ‘थप्पड़’ (Slap) से जुड़े मामले में महाराष्ट्र पुलिस द्वारा केंद्रीय मंत्री नारायण राणे (Narayan Rane) की गिरफ्तारी (Arrest) ‘उचित’ (Justified) है। कोर्ट ने उन्हें इसे फिर से नहीं दोहराने का आदेश दिया।
69 वर्षीय राणे को 4 सितंबर तक मजिस्ट्रियल कस्टोडियल रिमांड पर भेजते हुए, महाड कोर्ट के न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी (जेएमएफसी) एसएस पाटिल ने फैसला सुनाया।
उन्होंने कहा, गिरफ्तारी के कारणों और ऊपर चर्चा किए गए कारणों (आदेश में) को देखते हुए, मैंने पाया कि गिरफ्तारी उचित है।
अदालत ने यह भी माना कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता में ऐसे आधार हैं जब एक पुलिस अधिकारी बिना वारंट के किसी को भी गिरफ्तार कर सकता है।
जेएमएफसी के फैसले ने विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेताओं के आरोपों को ‘अवैध गिरफ्तारी’ के लिए महा विकास अघाड़ी सरकार को निशाना बनाने और काली चेतावनियों को प्रभावी ढंग से खारिज कर दिया कि इससे नतीजे सामने आ सकते हैं।
राणे को 10 दिनों के लिए मजिस्ट्रियल हिरासत दिए जाने के तुरंत बाद, वकील राजेंद्र शिरोडकर और संग्राम देसाई की उनकी कानूनी टीम ने जमानत के लिए आवेदन किया, जिसे जेएमएफसी पाटिल ने मंगलवार की देर रात कई शर्तें लगाते हुए मंजूर कर लिया।
सहायक लोक अभियोजक प्रकाश जोशी और उनके वकीलों की टीम ने जमानत का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि आरोपी एक केंद्रीय मंत्री था जो इसी तरह के बयान दे सकता है जिससे लोगों में असामंजस्य पैदा हो सकता है।
हालांकि, अदालत ने कहा कि यदि आरोपी (राणे) को कुछ नियमों और शर्तों पर जमानत पर रिहा किया जाता है, तो अभियोजन पक्ष पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।
महाड कोर्ट में, राणे ने कहा कि पुलिस ने उनके साथ बुरा व्यवहार नहीं किया, वह जांच में सहयोग करने के लिए तैयार और तैयार थे, फरार नहीं होंगे, जमानत देंगे और उन पर लगाए गए किसी भी नियम और शर्तों का पालन करेंगे।
राणे ने मुख्यमंत्री के खिलाफ पुलिस द्वारा किए गए अपराध (‘थप्पड़ गाली’) से इनकार नहीं किया है और अब उनके वकीलों ने उन्हें सार्वजनिक रूप से इस तरह के बयान नहीं देने की सलाह दी है, लेकिन इससे पहले वे इस आशय का कोई लिखित वचन देने के लिए तैयार नहीं थे।
जेएमएफसी ने आगे कहा कि राणे के खिलाफ दर्ज सभी अपराध अदालत द्वारा विचारणीय है। जेएमएफसी पाटिल ने कहा, भारतीय दंड संहिता की धारा 153-ए (1) (बी), (सी) और 505 (2) के तहत अपराध गैर-जमानती हैं, लेकिन आजीवन कारावास या मृत्यु के लिए दंडनीय नहीं हैं। अपराध दंडनीय हैं जो अधिकतम तक बढ़ सकते हैं तीन साल। बाकी अपराध (आईपीसी के 189, 504, 506) जमानती हैं।
पुलिस हिरासत में पूछताछ को खारिज करने के आधार का हवाला देते हुए, अदालत ने कहा कि राणे ने पुलिस और मीडिया के सामने कथित (‘थप्पड़ गाली’) बयान दिया, यह सोशल मीडिया पर वायरल था, और उनके वकीलों ने भी अब उन्हें इस तरह के सार्वजनिक रूप से बयानों से परहेज करने की सलाह दी है।
अदालत ने राणे को 15,000 रुपये की जमानत दी, उन्हें सबूतों के साथ छेड़छाड़ नहीं करने, किसी गवाह या पुलिस को धमकाने या प्रेरित करने का आदेश दिया गया। साथ ही, 30 अगस्त और सितंबर के दूसरे सोमवार को अलीबाग पुलिस को रिपोर्ट करने को कहा गया है।
जेएमएफसी पाटिल ने आगे राणे को पुलिस जांच में सहयोग करने का आदेश दिया, पुलिस को यदि मामले की जांच के लिए उनकी आवाज के नमूने उपलब्ध कराने के लिए जरूरत हो तो उनको बुलाया जा सकता है लेकिन इसके लिए पुलिस को उन्हें सात दिन की पूर्व सूचना देनी होगी।
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