इलाहाबाद (Allahabad) । यूपी (UP) के इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) में मथुरा शाही ईदगाह कृष्ण जन्मभूमि विवाद (Mathura Shahi Idgah Krishna Janmabhoomi dispute) में फैसला सुरक्षित रख लिया है. अब कोर्ट इस मामले में 24 अप्रैल को फैसला सुनाएगा. शाही मस्जिद ईदगाह ट्रस्ट की प्रबंध समिति और उप्र सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड मथुरा, वादी-प्रति की तरफ से बहस पूरी होने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. मथुरा अदालत में चल रहे मुकद्दमे की सुनवाई पर हाईकोर्ट ने पहले ही रोक लगाई थी. अब न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने शाही मस्जिद ईदगाह ट्रस्ट व अन्य की याचिका की सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया है.
शाही ईदगाह का सर्वे कराए जाने को लेकर सिविल जज सीनियर डिवीजन की कोर्ट में श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास के अध्यक्ष महेंद्र प्रताप सिंह ने वाद दाखिल किया था, जिसे निचली अदालत ने खारिज कर दिया था. बाद में जिला जज की कोर्ट में रिवीजन दाखिल की गई थी.
मालूम हो कि भगवान श्रीकृष्ण विराजमान की तरफ से सिविल जज की अदालत में सिविल वाद दायर कर 20 जुलाई 1973 के फैसले को रद्द करने तथा 13.37 एकड़ कटरा केशव देव की जमीन को श्रीकृष्ण विराजमान के नाम घोषित किए जाने की मांग की.
वादी का कहना था कि जमीन को लेकर दो पक्षों के बीच हुए समझौते के आधार पर1973 में दिया गया फैसला वादी पर लागू नहीं होगा. क्यों कि वह पक्षकार नहीं था. सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की आपत्ति की सुनवाई करते हुए अदालत ने सिविल वाद खारिज कर दिया. इसके खिलाफ भगवान श्रीकृष्ण विराजमान की तरफ से अपील दाखिल की गई. विपक्ष ने अपील की पोषणीयता पर आपत्ति की. जिला जज मथुरा की अदालत ने अर्जी मंजूर करते हुए अपील को पुनरीक्षण अर्जी में तब्दील कर दी थी.
पुनरीक्षण अर्जी पर पांच प्रश्न तय किए गए. 19 मई 2022 को जिला जज की अदालत ने सिविल जज के वाद खारिज करने के आदेश बाद में रद्द कर दिए थे और अधीनस्थ अदालत को दोनों पक्षों को सुनकर नियमानुसार आदेश पारित करने का निर्देश दिया है, जिसकी वैधता को इन याचिकाओं में चुनौती दी गई है.
याची के वरिष्ठ अधिवक्ता एसएफए नकवी का कहना है कि प्लेसेस आप वर्शिप एक्ट 1991के तहत विवाद को लेकर सिविल वाद पोषणीय नहीं है. इस कानून में सभी पूजा स्थलों की 15अगस्त 1947की स्थिति में बदलाव पर रोक लगी है. उन्होंने रामजन्म भूमि विवाद केस के फैसले का हवाला दिया.
क्या है मामला
दरगाह और ईदगाह जिस 13.37 एकड़ जमीन पर स्थित हैं. करीब 11 एकड़ में श्री कृष्ण जन्मस्थान मंदिर है. 2.37 एकड़ पर शाही ईदगाह मस्जिद बनी हुई है. इस पूरी जमीन के मालिकाना हक को लेकर आठ दशक से ज्यादा समय से विवाद चलता आया है. 1935 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने वाराणसी के राजा के स्वामित्व अधिकारों को बरकरार रखा था. यहीं पर मंदिर के खंडहरों के बगल में मस्जिद थी ,जिसे भगवान कृष्ण का जन्मस्थान माना जाता था.
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