नई दिल्ली । दिल्ली की एक अदालत (Delhi Court) ने गुरुवार को चीनी वीजा मामले में (In Chinese Visa Case) कांग्रेस नेता (Congress Leader) कार्ति चिदंबरम (Karti Chidambaram) के चार्टर्ड अकाउंटेंट (Chartered Accountant) एस. भास्कररमन (S. Bhaskararaman) को जमानत दे दी (Grants Bail) ।
कोर्ट के विशेष सीबीआई न्यायाधीश का विस्तृत आदेश बाद जमानत दी गई। चीनी वीजा मामला 2011 में हुआ एक कथित घोटाला है, जब शिवगंगा के सांसद कार्ति चिदंबरम के पिता पी. चिदंबरम केंद्रीय गृह मंत्री थे। पिछले हफ्ते सीबीआई के विशेष न्यायाधीश एम.के. नागपाल ने कार्ति और मामले में एस भास्कर रमण और थर्मल पावर प्लांट तलवंडी साबो पावर के एसोसिएट वाइस प्रेसिडेंट विकास मखरिया सहित अन्य आरोपी व्यक्तियों द्वारा दायर अग्रिम जमानत याचिकाओं को खारिज कर दिया था।
निचली अदालत द्वारा अपनी अग्रिम जमानत याचिका खारिज किए जाने के बाद कार्ति ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया गया। निचली अदालत में पिछली सुनवाई में वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने दलील दी थी कि कथित लेन-देन 2011 का है और ईडी ने लंबे समय बीत जाने के बाद मामला दर्ज किया, यह इंगित करते हुए कि इन सभी वर्षों में कोई जांच नहीं हुई थी।
वकील ने यह भी तर्क दिया कि कथित लेनदेन का मूल्य 50 लाख रुपये था, जो कि 1 करोड़ रुपये से कम था और इस तथ्य के मद्देनजर उसे जमानत दी जानी चाहिए। प्राथमिकी के अनुसार, मानसा स्थित तलवंडी साबो पावर लिमिटेड ने एक बिचौलिए की मदद ली और कथित तौर पर चीनी नागरिकों को समय सीमा से पहले एक परियोजना को पूरा करने के लिए वीजा जारी करने के लिए 50 लाख रुपये का भुगतान किया।
एफआईआर के अनुसार, “उक्त रिश्वत का भुगतान मानसा स्थित निजी कंपनी से चेन्नई में एक निजी व्यक्ति और उसके करीबी सहयोगी को मुंबई स्थित एक कंपनी के माध्यम से परामर्श के लिए उठाए गए फर्जी चालान के भुगतान के रूप में और चीनी वीजा संबंधी कार्यों के लिए जेब से खर्च किया गया था।”
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