नई दिल्ली: दिल्ली दंगे (delhi riots) में कड़कड़डूमा कोर्ट (Karkardooma Court) ने बड़ा फैसला सुनाते हुए 9 आरोपियों को दोषी पाया है. यहां तक कहा गया है कि हिंदू समुदाय की संपत्ति (property of hindu community) को नुकसान पहुंचाने के उदेश्य के साथ बवाल काटा गया था. कोर्ट ने इस बात पर भी जोर दिया है कि पुलिस द्वारा आरोपियों (accused) पर जो आरोप लगाए गए हैं, वो पूरी तरह साबित होते हैं.
अपने फैसले में कोर्ट ने कहा कि आरोपी एक झुंड का हिस्सा बने थे, उस झुंड का जो पहले से सांप्रदायिक भावनाओं (communal feelings) से भरा बैठा था, उसका सिर्फ एक उदेश्य था, हिंदू समुदाय की संपत्ति को ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचाया जाए. पुलिस द्वारा लगातार पीछे हटने की अपील की गई थी, लेकिन झुंड ने अपने बवाल को जारी रखा. अब जानकारी के लिए बता दें कि एक याचिकाकर्ता की शिकायत पर कोर्ट ने ये टिप्पणी की है.
असल में रेखा शर्मा नाम की महिला ने आरोप लगाया था कि तीन साल पहले 24-25 फरवरी को भीड़ ने उनके घर पर हल्ला बोल दिया था. सामान लूटा गया था और ऊपर वाली मंजिल पर जो रूम थे, उनमें आग लगा दी थी. उस वजह से घर को भारी नुकसान हुआ था. अब कोर्ट ने याचिकाकर्ता के दावों को सही माना है और 9 आरोपियों को दोषी पाया है. आरोपियों के नाम मोहम्मद शहनवाज, मोहम्मद शोएब, शाहरुख, राशिद, आजाद, अशरफ अली, परवेज, फैजल और रशीद हैं.
वैसे दिल्ली दंगों को लेकर पिछले साल पुलिस ने जो चार्जशीट दायर की थी, उसमें भी कई चौंकाने वाले दावे हुए थे. स्पेशल सेल ने चार्जशीट में सबसे बड़ा और चौंकाने वाला खुलासा दंगों की तेजाबी साजिश को लेकर किया था. स्पेशल सेल ने गवाहों और सबूतों के आधार पर दावा किया था कि दंगों के पहले प्लान के तहत तेजाब इकट्ठा करके रखा गया था और साजिश के तहत कानून व्यवस्था संभाल रहे दिल्ली पुलिस और अर्धसैनिक बलों के जवानों पर उस तेजाब से हमला किया गया था.
स्पेशल सेल ने उस चार्जशीट में दंगों के पहले 22 फरवरी को चांद बाग में दंगों की साजिश के लिए हुई एक खुफिया मीटिंग का भी खुलासा किया था, वो भी सीसीटीवी की तस्वीरों के साथ. स्पेशल सेल के मुताबिक 22 फरवरी को चांद बाग इलाके में Aiyaz’s Basement में एक मीटिंग हुई थी. मीटिंग में अहतर खान, शादाब, सलीम और सुलेमान सिद्दकी शामिल थे.
मीटिंग में अहतर खान ने कहा था कि जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के नीचे जो रोड ब्लॉक हुआ उसी तरह का रोड ब्लॉक चांद बाग समेत दिल्ली में कई जगह करेंगे, जिस से दिल्ली में देंगे हो जाएं और सरकार काला कानून वापस ले ले. दिल्ली दंगों का एक पहलू ताहिर हुसैन से भी जुड़ा हुआ है. ताहिर हुसैन पर दंगे भड़काने और उनकी फंडिंग के आरोप के साथ ही अन्य कई आरोप हैं. दंगों के वक्त ताहिर हुसैन आम आदमी पार्टी के पार्षद थे, लेकिन आरोपी साबित होने पर पार्टी ने उन्हें निकाल दिया था.
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