इंदौर। करोड़ों की धोखाधड़ी के एक मामले में ईडी द्वारा प्रस्तुत मनी लांड्रिंग केस को विशेष न्यायाधीश राकेश कुमार गोयल की कोर्ट ने प्रारंभिक अवस्था में ही निरस्त कर दिया।
आरोपी राकेश बत्रा, अमित सोनी, अनुराग सोनी, विनय महाजन, सुरेन्द्र सोनी एवं विजय सेमरे के विरूद्ध धोखाधड़ी की विभिन्न धाराओं के अलावा आईटी एक्ट और प्रतिभूति एवं संविदा (विनियमन) अधिनियम एवं वायदा संविदा (विनियमन) अधिनियम के अन्तर्गत सायबर थाने पर 2013 में एफआईआर करते हुए चालान पेश किया गया था। इस अपराध के आधार पर प्रवर्तन निदेशालय ( ईडी) द्वारा प्रकरण दर्ज कर अनुसंधान उपरांत न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत किया गया था। अभियोजन की कहानी अनुसार आरोपियों द्वारा मेटाट्रेडर 5 साफ्टवेयर को अपने कम्प्यूटर्स व संबंधित मोबाइल फोन्स पर इन्स्टाल कर इन्दौर, नई दिल्ली, जयपुर, मुम्बई आदि शहरों में अपने कार्यालय से इंटरनेट के माध्यम से एम.सी.एक्स के समानांतर मिनी एक्सचेंज संचालित कर अवैध व्यवसाय किया गया और करीब 3.40 करोड़ रुपए आपराधिक आगम के रूप में प्राप्त किए। आरोपियों की ओर से अभिभाषक अजय शंकर उकास द्वारा कोर्ट के समक्ष तर्क रखा गया कि उक्त केस के मूल अपराध की एफआईआर को उच्च न्यायालय द्वारा निरस्त कर दिया गया, जिसके विरूद्ध ईडी द्वारा प्रस्तुत विशेष अनुमति याचिका भी सुप्रीम कोर्ट द्वारा निरस्त की गई। चूंकि मूल अपराध ही समाप्त कर दिया गया है, इसलिए ईडी द्वारा प्रस्तुत प्रकरण प्रचलन योग्य नहीं है। कोर्ट ने माना कि जब मूल अपराध की एफआईआर ही अंतिम रूप से खारिज की जा चुकी है, तब ऐसी स्थिति में आरोपीगण के विरूद्ध धनशोधन निवारण अधिनियम (मनी लांड्रिंग) की धारा 3 सह पठित धारा 4 के अन्तर्गत आगे कार्रवाई किए जाने के आधार शेष नहीं रह जाते, इसलिए सभी आरोपियों को उन्मोचित किया गया।
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