नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (Supreme Court Chief Justice) डी. वाई. चंद्रचूड (D.Y. Chandrachud) ने कहा कि कोर्ट भी (Court also) बिना किसी आधार के (Without any Basis) कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष (Wrestling Federation President) ब्रज भूषण शरण सिंह (Braj Bhushan Sharan Singh) के मामले में (In the Case of) कुछ नहीं करना चाहेगी (Would Not Like to do Anything) । उन्होंने इस मामले को एक नाबालिग से जुड़े होने की ओर इशारा करते हुए सोलिसिटर जनरल को शुक्रवार को ठोस सामग्री पेश करने को कहा।
शीर्ष अदालत ने कहा, याचिका में यौन प्रताड़ना के गंभीर आरोप लगाए गये हैं और ये आरोप उन अंतरराष्ट्रीय पहलवानों की ओर से लगाए गये हैं जिन्होंने खेल जगत में देश का प्रतनिधित्व किया है। उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 32 ए के तहत अदालत अपने अधिकार का उपयोग करते हुए इस मामले को संज्ञान में लेगी।
दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट को बुधवार को बताया कि कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष ब्रज भूषण शरण सिंह पर लगाए गए यौन प्रताड़ना के आरोप को लेकर प्राथमिकी दर्ज करने से पहले प्रारंभिक जांच की जरुरत पड़ सकती है। सोलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड की अगुवाई वाली पीठ से कहा कि इस मामले में प्रारंभिक जांच की आवश्यकता हो सकती है, लेकिन अगर अदालत आदेश देती है तो प्राथमिकी दर्ज की जा सकती है।
न्यायमूर्ति चंद्रचूड ने कहा कि कोर्ट भी बिना किसी आधार के इस मामले में कुछ नहीं करना चाहेगी। उन्होंने इस मामले को एक नाबालिग से जुड़े होने की ओर इशारा करते हुए सोलिसिटर जनरल को शुक्रवार को ठोस सामग्री पेश करने को कहा। वरिष्ठ अधिक्ता कपिल सिब्बल और नरेन्द्र हूडा ने पच्चीस अप्रैल को पहलवानों की ओर से यौन प्रताडना की याचिका दायर की थी।
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