नई दिल्ली। घरेलू रेटिंग एजेंसी, इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने जारी अपनी रिपोर्ट में कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से मंजूरी मिलने के बाद देशभर के बैंक 8.4 लाख करोड़ रुपये के संकटग्रस्त ऋणों का पुनर्गठन करने की तैयारी में हैं। यह बैंकों के कुल कर्ज का 7.7 प्रतिशत है।
इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने कहा कि 8.4 करोड़ रुपये के इन कर्जों में 60 प्रतिशत से अधिक को यदि पुनर्गठित नहीं किया गया, तो उनके गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) की श्रेणी में जाने की आशंका है। पुनर्गठन से बैंकों की आय भी बेहतर होगी। एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, कॉरपोरेट क्षेत्र में 3.3 लाख करोड़ रुपये से 6.3 लाख करोड़ रुपये तक के कर्ज का पुनर्गठन किया जा सकता है। यह इस बात पर निर्भर करेगा कि बैंक क्या रणनीति अपनाते हैं। पुनर्गठन में बुनियादी संरचना, बिजली और निर्माण क्षेत्रों की हिस्सेदारी सर्वाधिक रहेगी।
एजेंसी ने कहा कि वैश्विक वित्तीय संकट के समय करीब 90 प्रतिशत पुनर्गठित कर्ज कॉरपोरेट क्षेत्र के थे। तब की तुलना में इस बार कॉरपोरेट से इतर के क्षेत्रों की हिस्सेदारी अधिक होगी, जिनमें छोटे व्यवसाय, कृषि व खुदरा कर्ज शामिल होंगे। अनुमान है कि 2.1 लाख करोड़ रुपये के ऐसे कर्ज का पुनर्गठन किया जाना है, जो कॉरपोरेट क्षेत्र के नहीं हैं।
इंडिया रेटिंग्स ने कहा कि कॉरपोरेट क्षेत्र के चार लाख करोड़ रुपये के कर्ज महामारी के पहले से ही संकट में फंसे थे। महामारी के कारण इसमें 2.5 लाख करोड़ रुपये का इजाफा हो गया। (एजेंसी, हि.स.)
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