नई दिल्ली। आईपीओ (IPO) लाने की तैयारियों में जुटी देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी LIC पर आयकर विभाग (Income tax department) का करीब 75,000 करोड़ रुपये बकाया है। खास बात है कि भारतीय जीवन बीमा निगम Life Insurance Corporation of India (LIC) टैक्स (Tax) की देनदारियां चुकाने के लिए अपने फंड (Fund) का इस्तेमाल नहीं करना चाहती है।
आईपीओ (IPO) के लिए बाजार नियामक सेबी (market regulator sebi) के पास पेश किए गए दस्तावेजों के मुताबिक, एलआईसी (LIC) पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर के 74,894.6 करोड़ रुपये के कुल 63 मामले चल रहे हैं। इनमें बीमा कंपनी पर प्रत्यक्ष कर के 37 मामलों में 72,762.3 करोड़ और 26 अप्रत्यक्ष कर मामलों में 2,132.3 करोड़ रुपये बकाया है, जिनकी वसूली होनी है।
कंपनी ने 2005 से छुपाई कमाई
आयकर विभाग का कहना है कि इनमें से अधिकतर मामलों का विवाद इसलिए चल रहा है क्योंकि एलआईसी ने अपनी कुल कमाई का खुलासा नहीं किया है। इनमें से कई मामले वर्षों पुराने हैं। विभाग का कहना है कि बीमा कंपनी ने 2005 के बाद से कई आकलन वर्ष में अपनी सही आय का खुलासा नहीं किया।
इन वित्त वर्षों में सबसे ज्यादा बकाया
वित्त वर्ष कर बकाया
2008–09 5,955
2009-10 5,808
2010-11 6,881
2011-12 6,269
2012-13 5,133(देनदारी करोड़ रुपये में)
देनदारियों के लिए फंड की व्यवस्था नहीं
जानकारों का कहना है कि एलआईसी अगर केस हार जाती है तो उसे बकाया टैक्स का भुगतान करना होगा। इसके लिए उसने अलग से कोई फंड नहीं रखा है। इसके तरह के कुल मामले 24,728.03 करोड़ रुपये के हैं। सरकारी बीमा कंपनी मार्च, 2022 में शेयर बाजार में सूचीबद्ध होने की तैयारी में है। वह करीब 75,000 करोड़ रुपये का आईपीओ लेकर आ रही है।
निवेशकों पर असर
केस हारने पर कंपनी को टैक्स के रूप में बड़ी रकम खर्च करनी पड़ सकती है।
इससे कंपनी के शेयरधारकों को मिलने वाले रिटर्न में गिरावट आ सकती है।
इसकी बाजार हिस्सेदारी भी घटकर नीचे आ सकती है।
भविष्य की कमाई पर भी असर होने की आशंका
सितंबर, 2021 तक कंपनी के पास 26,122.95 करोड़ की नकदी।
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