नई दिल्ली (New Delhi)। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Defense Minister Rajnath Singh) ने कहा कि जल्द ही देश का रक्षा उत्पादन (Country’s defense production) तीन लाख करोड़ रुपये (worth Rs 3 lakh crore) का आंकड़ा छू लेगा। इसके साथ ही सैन्य उपकरणों का निर्यात भी 50 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का हो जाएगा। एक रक्षा सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि पहले तीनों सेनाएं अपने-अपने खोल में रहती थीं, लेकिन अब किसी भी चुनौती से निपटने के लिए सेनाओं के बीच बेहतर समन्वय बना है।
राजनाथ ने कहा कि पहले भारत को दुनिया में हथियारों के सबसे बड़े आयातक के रूप में जाना जाता था, लेकिन आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के नेतृत्व में यह छवि बदल गई है। अब भारत दुनिया के शीर्ष 25 हथियार निर्यातक देशों की सूची में शामिल हो गया है। सात-आठ साल पहले भारत का रक्षा निर्यात एक करोड़ से भी कम था। आज यह 16,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। उन्होंने कहा कि 2028-29 तक देश का वार्षिक रक्षा उत्पादन 3 लाख करोड़ रुपये होगा और निर्यात 50,000 करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है।
देश में रक्षा उद्योग के विस्तार को लेकर राजनाथ कहा कि वित्तीय वर्ष 2023-24 में 4,35,000 करोड़ रुपये से अधिक की पूंजीगत अधिग्रहण परियोजनाओं को सैद्धांतिक मंजूरी दी गई है। इसके साथ ही सरकार ने अगले पांच साल भारत में हवाई जहाज के इंजन और गैस टर्बाइन जैसी उच्चस्तरीय प्रणालियों के उत्पादन का लक्ष्य रखा है। उन्होंने कहा कि सरकार ने तीनों सेनाओं के बीच संयुक्त परिचालन को सुगम बनाने पर खासा ध्यान दिया है, ताकि किसी भी संकट की स्थिति में बेहतर प्रतिक्रिया दी जा सके।
अग्निपथ देश को दुनिया की सबसे मजबूत सेना बनाने का जरिया
अग्निपथ योजना के बारे में भी बात करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि इसका लक्ष्य देश की सेना को दुनिया की सबसे मजबूत सेनाओं में से एक बनाना है। ये फैसले राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति सरकार के दीर्घकालिक दृष्टिकोण को दर्शाते हैं। उन्होंने कहा कि जब हमारे युवाओं की क्षमता और समर्पण असाधारण है और सरकार की मंशा स्पष्ट है, तो सरल लक्ष्य निर्धारित करने का सवाल ही नहीं उठता। हम जल्द ही असाधारण लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में एक रोमांचक यात्रा शुरू करेंगे।
रक्षा मंत्री ने कहा कि जहां सरकार बड़ी कंपनियों का समर्थन कर रही है, वहीं वह स्टार्टअप के जरिये युवा प्रबुद्ध दिमागों को रक्षा क्षेत्र में आमंत्रित कर रही है। दीर्घकालिक रक्षा हितों के लिहाज से ये अहम कदम उठाए गए हैं। उन्होंने कहा कि आने वाले 20-25 वर्षों में ये कंपनियां अपने नवाचारों के दम पर वैश्विक मंच पर भारत की मजबूत पहचान को एक नया आयाम देने में मदद करेंगी।
हथियार आयात पर रोक के नतीजे दिखने लगे
राजनाथ ने कहा कि हथियारों के आयात पर रोक तात्कालिक रूप से एक मुश्किल फैसला था, लेकिन अब इसकी नतीजे दिखने लगे हैं और भारत में विशाल रक्षा उद्योग आकार लेने लगा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि कोई भी सेना आयातित हथियारों पर निर्भर रहकर देश की रक्षा नहीं कर सकती है, लिहाजा रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता बेहद जरूरी है। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि 2024-25 के लिए रक्षा बजट के तौर पर 6.21 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।
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