– प्रमोद भार्गव
दुनियाभर में आतंक का विस्तार कर रहा अंतरराष्ट्रीय संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) बीते कुछ वर्षों में देश के 12 राज्यों में पैठ बना चुका है। ईरान और सीरिया स्थित सुन्नी जिहादियों का संगठन आईएस मध्य-प्रदेश, राजस्थान, केरल, कर्नाटक, आंध्र-प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, तमिलनाडू, पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर-प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में पूरी ताकत से सक्रिय है। यह जानकारी केंद्रीय गृह राज्यमंत्री जी किशन रेड्डी ने 16 सितंबर 2020 को राज्यसभा में भाजपा नेता विनय पी सहस्त्रबुद्धे के प्रश्न के उत्तर में दी है। रेड्डी ने बताया कि एनआईए की जांच में आईएस के कई मामलों का पता चला है। इस तरह के 17 मामलों में 122 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। जो मध्य-प्रदेश ऊपर से शांति का टापू दिखाई देता है, उसमें आईएस की घुसपैठ चिंताजनक है। हालांकि मध्य-प्रदेश में आतंकी वारदातों और जासूसी का सिलसिला निरंतर जारी है। बावजूद प्रदेश का खुफिया-तंत्र वारदात से पहले आतंकी हरकतों की पड़ताल करने में नाकाम ही रहा है।
2017 में मध्य प्रदेश के शाजापुर जिले में यात्री रेल पर हुए आतंकी हमलावरों के पकड़े जाने के बाद उनके तार उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से जुड़े पाए गए थे। नतीजतन लखनऊ में घंटों चली मुठभेड़ में आतंकवादी सैफुल्लाह मारा गया था। सैफुल्लाह के पास से मिली सामग्री से साफ हुआ था कि वह आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट से जुड़ा था। इसके पास से आईएस का झंडा, भारतीय रेलवे की समय-सारिणी, विदेशी मुद्रा, हथियार और कारतूस बड़ी मात्रा में मिले थे। यही नहीं, भोपाल-उज्जैन रेल में रखे बम में रखा अंग्रेजी में लिखा संदेश भी मिला था। इसमें लिखा था,’ नाऊ वी आर इन इंडिया’ मसलन ‘अब हम भारत में आ चुके हैं।’ दोनों प्रदेशों में फैले इस रैकेट में 9 आतंकी जुड़े थे।
भारत अबतक पाक प्रायोजित आतंकवाद से लड़ रहा था लेकिन अब देश के सामने दुनिया के खूंखार आतंकी संगठन आईएस से लड़ने की चुनौती घर के भीतर ही व्यापक पैमाने पर अंगड़ाई लेने लगी है। यह ठीक है कि आईएस को अभी देश में किसी बड़ी वारदात को अंजाम तक पहुंचाने में कामयाबी नहीं मिली है, लेकिन उसने अपनी धर्म आधारित हिंसक विचारधारा को कई राज्यों में फैलाकर किशोर व युवाओं को बरगलाने में सफलता प्राप्त कर ली है। जुलाई-2014 में भारतीय खुफिया तंत्र ने ठाणे के दो युवाओं के आईएस में शामिल होने का पहली बार खुलासा किया था। तब महाराष्ट्र सरकार और देश की गुप्तचर संस्थाओं ने यह दावा किया था कि भारत में आईएस पैर नहीं पसार पाएगा। किंतु इसके बाद 2017 में गणतंत्र-दिवस से पहले छह राज्यों में 14 आतंकियों की गिरफ्तारी से साफ हो गया था कि आईएस के मंसूबे लगातार परवान चढ़ रहे हैं।
कुछ इसी तरह का दावा मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने करते हुए कहा था कि ‘जब तक मैं हूँ, प्रदेश की धरती पर आतंकियों को नहीं पनपने दूंगा।’ लेकिन उनका यह दावा हकीकत की कसौटी पर कितना खरा है, यह प्रदेश में घटी पिछली आतंकी वारदातों से समझ सकते हैं? ऐन उनकी नाक के नीचे राजधानी भोपाल की जेल से सिमी के 8 आतंकवादी भाग निकले थे। यह अलग बात है कि इन सभी को तत्काल राज्य पुलिस ने मार गिराया था। इसके ठीक पहले यही आतंकी खंडवा की जेल तोड़कर फरार हुए थे।
मध्य-प्रदेश में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई कितना मजबूत नेटवर्क बना चुकी है, इसका खुलासा फरवरी 2017 में हुआ था। एटीएस ने इस नेटवर्क से जुड़े 15 लोगों को हिरासत में लिया था। इनमें से दो ध्रुव सक्सेना और मोहित अग्रवाल भारतीय जनता युवा मोर्चा के पदाधिकारी थे। ये लोग इस नेटवर्क के सरगना सतना के बलराम के मार्फत समानांतर टेलीफोन एक्सेंज चला रहे थे। इसके मार्फत ये इंटरनेट कॉल को मोबाइल नेटवर्क में बदलकर चाहे गए नंबरों पर वार्तालाप कराते थे। ये उच्च शिक्षित सेना की गोपनीय जानकारियां आईएसआई को देने के अलावा आतंकियों को हवाला के जरिए धनराशि का लेन-देन भी करते थे।
खैर, शाजापुर जिले में जबड़ी के पास रेल में जो हमला हुआ, उसमें मिले सबूतों के आधार पर इसे आईएस का भारत पर पहला आतंकी हमला घोषित कर दिया गया था। सैफुल्लाह के तार भी इस हमले से जुड़े थे। आईएस ने 2016 में हरिद्वार के कुंभ मेले में भी बम विस्फोट करने की बड़ी साजिश रची थी। इस मकसद पूर्ति के लिए आईएस देशव्यापी खुरसान मॉड्यूल तैयार करने में भी सफल रहा था। यह माड्यूल पाकिस्तान के तहरीक-ए-तालिबान संगठन का सह-उत्पाद है। इसके पहले यह पाकिस्तान व अफगानिस्तान में सक्रिय था। भारतीय गुप्तचर संस्थाओं को यह भी आशंका है कि इसे पाक खुफिया एजेंसी आईएसआई की भी मदद मिल रही है। यह शंका इसलिए अहम है क्योंकि कानपुर के पास इंदौर-पटना एक्सप्रेस की भीषण दुर्घाटना में आईएसआई के पुख्ता सबूत उस वक्त मिले थे, जब इसी तरह के हादसे को अंजाम देने के लिए बिहार में रेल पटरियों को उड़ाने की कोशिश में एक व्यक्ति रंगे हाथ पकड़ लिया गया था। हैदराबाद से भी मोहम्मद इब्राहिम नाम के एक युवा इंजीनियर की गिरफ्तारी हुई थी। इससे भी आईएस के खतरनाक मंसूबों का पता चला था। हाल ही में न्यूयॉर्क टाइम्स ने आईएस के हैदाराबाद मॉड्यूल पर एक हैरानी में डालने वाली रिपोर्ट पेश की है। इसके मुताबिक हैदराबाद के आईएस से जुड़े आतंकी सीधे सीरिया स्थित आतंकियों के इस मॉड्यूल में शामिल होने की आशंका है। जिन आतंकियों ने भोपाल-उज्जैन एक्सप्रेस में धमाका किया था, उनने भी पिपरिया पहुंचने के दौरान लैपटॉप से ई-मेल के जरिए सीरिया घटना की जानकारी दी थी।
आईएस उससे जुड़ने वाले आतंकियों को आर्थिक मदद तो करती ही है, लैपटॉप पर बम बनाने की विधियों की सचित्र जानकारी भी ईमेल से भेजता है। इस मकसदपूर्ति के लिए वह किशोर से युवा होने की दहलीज पर पैर जमा रहे युवाओं को तलाशता है। इन्हें कट्टर इस्लामी साहित्य पढ़ाकर इनके दिल और दिमाग को बदलकर रख देता है। इनमें आईएस का क्षेत्रीय प्रमुख बना देने की महत्वाकांक्षाएं भी जगाता है। मारे गए सैफुल्लाह को भारत का आईएस प्रमुख बना देने का भरोसा दिया गया था। वैसे तो भारत में संवैधानिक व्यवस्थाएं ऐसी हैं, जिनमें कट्टर सोच को जगह नहीं है लेकिन आर्थिक कमजोरी और व्यक्तिगत धार्मिक सोच की छूट ऐसे कारण हैं, जिनके चलते आतंकी संगठन घुसपैठ में कामयाब हो जाते हैं। बहरहाल राज्यसभा में दी गई जानकारी के बाद मध्य-प्रदेश सरकार को जरूरी सतर्कता बरतने की जरूरत है।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)
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