नई दिल्ली । उच्च शिक्षा(higher education) के लिए विदेश जाने वाले छात्रों (students going abroad)की संख्या तेजी से बढ़ रही है। पिछले पांच वर्षों में यह संख्या दोगुनी (Double the number)हो गई है। विदेश मंत्रालय (Ministry of External Affairs)के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2024 में 108 देशों में पढ़ रहे भारतीय छात्रों की संख्या 13,35,878 पहुंच गई थी। जबकि कोरोना काल से पहले 2019 में विदेशों में पढ़ रहे छात्रों की संख्या 6,75,541 दर्ज की गई थी।
विदेश मंत्रालय के सूत्रों की मानें तो संख्या इससे भी ज्यादा हो सकती है क्योंकि कई देशों से आंकड़े उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं। दूसरे, 2024 के आंकड़े अभी पहले छह महीनों के ही हैं। यूरोप, अमेरिका में अक्तूबर-नवंबर में भी दाखिले होते हैं इसलिए वर्ष के आखिर तक यह संख्या और बढ़ने का अनुमान है। विदेश में पढ़ रहे छात्रों के आंकड़े देखें तो 10.71 लाख छात्र चार देशों कनाडा, अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया में पढ़ रहे हैं। जबकि पांच अन्य देशों जर्मनी, यूएई, रुस, चेक गणराज्य तथा जार्जिया में 1.25 लाख छात्र पढ़ रहे हैं।
कनाडा पहली पसंद
विदेश मंत्रालय के अनुसार, उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए कनाडा छात्रों की पहली पसंद बना हुआ है। वहां इस समय 4.27 लाख भारतीय छात्र पढ़ रहे हैं। जबकि 2019 में उनकी संख्या 2,18,520 थी। यहां भी छात्रों की संख्या में करीब-करीब दोगुने का इजाफा हुआ है। कनाडा में पढ़ाई के दौरान ही रोजगार की संभावनाएं सबसे ज्यादा होती हैं तथा उसके बार पीआर और नागरिकता प्राप्त करने के नियम बेहद आसान हैं।
अमेरिका दूसरी पसंद
मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि अमेरिका छात्रों के लिए दूसरा पसंदीदा देश है। वहां अभी 3,37,630 छात्र पढ़ रहे हैं। वर्ष 2019 में यह संख्या 1,93,124 थी। यहां महत्वपूर्ण है कि पिछले साल अमेरिका में पढ़ रहे छात्रों की संख्या 3,51,106 तक पहुंच गई थी। अमेरिका उच्च शिक्षा के लिए सर्वोत्तम है तथा करियर के लिहाज से सर्वाधिक मौके हैं।
ब्रिटेन जाने वालों की संख्या तीन गुना बढ़ी
संख्या के हिसाब से ब्रिटेन भारतीय छात्रों की तीसरी पसंद है। वहां 1.85 लाख भारतीय छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। लेकिन कोविड काल से पहले के आंकड़े देखें तो ब्रिटेन जाने वाले छात्रों की संख्या में तीन गुना से भी अधिक की बढ़ोतरी हुई है। तब 2019 में 58,780 छात्र ब्रिटेन में पढ़ रहे थे। ब्रिटेन में मास्टर कोर्स एक साल का होना तथा स्नातकोत्तर के बाद दो साल का अतिरिक्त वीजा मिलना प्रमुख आकर्षण है।
ऑस्ट्रेलिया का आकर्षण घटा
आंकड़े बताते हैं कि 2019 में भारतीय छात्रों की तीसरी पंसद ऑस्ट्रेलिया था। तब 1,15,094 भारतीय छात्र वहां पढ़ रहे थे। लेकिन 2024 में इस संख्या में मामूली ही वृद्धि देखी गई। अभी 1,22,202 छात्र वहां पढ़ रहे हैं। यहां भी नौकरी, रोजगार की उपलब्धता और प्रवासन के आसान नियम हैं।
पांच और पसंदीदा देश
उपरोक्त चार देशों के अलावा पांच देश और हैं जहां भारतीय छात्र खासी संख्या में पढ़ रहे हैं। इनमें जर्मनी 42,997, यूएई-25,000, रूस-24,940, चेक गणराज्य-16,500 तथा जार्जिया 16,093 छात्र शामिल हैं।
चीन जाने वाले घटे
2019 में चीन में पढ़ रहे छात्रों की संख्या 15,207 थी लेकिन अब यह कम होकर 8,580 रह गई है। यानी चीन जाने वालों की संख्या घट रही है। कोविड काल के लंबे प्रतिबंध भी इसकी एक वजह हैं।
इसलिए कर रहे विदेश का रुख
– विदेशों में नौकरी की चाहत
– विदेशों में बसने की इच्छा
– उच्च गुणवत्ता की शिक्षा हासिल करना
– आर्थिक संपन्नता में वृद्धि
– आसानी से शिक्षा ऋण मिलना
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