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    जमीनों की जालसाजी रूकेगी, नामांतरण बाद रिकॉर्ड दुरुस्त की मिलेगी पावती

  • November 28, 2020

    • राजस्व प्रकरणों के निराकरण के लिए इंदौर कलेक्टर का महत्वपूर्ण आदेश
    • किसी को भी नहीं लगाना पड़ेंगे अब चक्कर

    इन्दौर। अविवादित नामातंरण, सीमाकंन, बंटवारा से लेकर राजस्व से संबंधित कार्यों को समय सीमा में करने और लोगों को चक्कर ना कटवाने के लिए कलेक्टर मनीष सिंह ने एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है, जिससे जमीनों की जालसाजी तो रूकेगी ही, वहीं नामांतरण और बंटवारे के बाद खसरा रिकॉर्ड में अमल दरामत यानी रिकॉर्ड संशोधन होगा और बकायदा इसकी पावती आवेदक से नकल और रिकॉर्ड सौंपते हुए ली जाएगी। बिचौलियों से पूरी तरह से राजस्व फाइलों को मुक्त करवाते हुए कलेक्टर ने पीठासीन अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की है कि वे जारी आदेश की प्रति, ऋण पुस्तिका और रिकॉर्ड की प्रति सीधे आरआई या पटवारी से प्राप्त करें।

    अभी अपर कलेक्टर, तहसीलदार या पटवारी राजस्व प्रकरणों में जो आदेश करते हैं उनकी अंतिम प्रविष्टि रिकॉर्ड में नहीं हो पाती है। उदाहरण के लिए किसी प्रकरण में नामांतरण आदेश किया गया मगर जब रिकॉर्ड रूम में फाइल भेजी जाती है तो उसके पहले खसरे में संबंधित व्यक्ति का नाम नहीं चढ़ाया जाता और ना ही उसे नकल, बी-1 और नक्शा ट्रैस की कॉपी दी जाती है। इसके चलते वह इधर-उधर चक्कर लगाता है और फिर सालों बाद जब खसरे की नकल निकाली जाती है तो पुराने व्यक्ति का ही नाम उसमें पाया जाता है, जिसके चलते कई बार जमीनों की जालसाजी और धोखाधड़ी के मामले भी सामने आए हैं। यानी रजिस्ट्री और नामांतरण, बटांकन करवा लेने के बावजूद राजस्व रिकॉर्डों में संशोधन नहीं हो पाते हैं। मगर अब कलेक्टर मनीष सिंह ने कल एक विस्तृत आदेश जारी किया है, जिससे इस तरह की सभी अनियमितताएं दूर हो सकेंगी। इंदौर जिले में अविवादित नामांकन, अविवादित बटवारा एवं सीमांकन आदि की कार्यवाही त्वरित एवं समय-सीमा में करने के लिये कलेक्टर श्री मनीष सिंह ने विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किये है। अनेक राजस्व प्रकरण लोक सेवा ग्यारंटी द्वारा विनियिमित किए जा रहे है तथा इन सभी का उददेश्य यह है कि आवेदकों को असुविधा न हो उनका राजस्व कार्य समय पर हो सकें । कलेक्टर ने निर्देश दिये है कि राजस्व विभाग द्वारा जारी निर्देश अत्यंत स्पष्ट है तथा उनमें समय सीमा भी निर्धारित की गई है, इसका अक्षरश: पालन किया जाये। कलेक्टर ने निर्देश दिये है कि राजस्व विभाग के आदेशों का शब्दश: पालन किया जाये। तद्नुसार राजस्व न्यायालय के पीठासीन अधिकारी किसी भी प्रकरण में अंतिम आदेश पारित करने के उपरांत उस प्रकरण को समाप्त कर रिकार्ड रूम दाखिले संबधी आदेश नही करेंगे। पीठासीन अधिकारी, इस आदेश में पांच कार्य दिवस का समय देते हुए संबंधित अधीनस्थ राजस्व अधिकारी/कर्मचारी को रिकार्ड अद्यतन का आदेश देंगे तथा वेब जी.आई.एस. में अद्यतन कराया जायेगा। आदेश अनुसार प्रविष्ठयां कर अद्यतन किए गए रिकार्ड की प्रति इसी समयावधि में पीठासीन अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत की जायेगी।

    पूरे प्रदेश में लागू हो सकता है इंदौरी राजस्व मॉडल
    जमीनी घोटालों, भूमाफियाओं और अवैध कॉलोनियों के लिए इंदौर सबसे अधिक बदनाम रहा है। राजस्व से संबंधित मामलों में कलेक्टर ने बिचौलियों, दलालों पर कार्रवाई करवाते हुए अब आम जनता से लेकर कॉलोनाइजर और बिल्डरों के लिए सीधे अनुमति प्राप्त करने की व्यवस्था शुरू की है। कलेक्टर मनीष सिंह का कहना है कि अगले एक महीने में राजस्व से संबंधित अविवादित लम्बित प्रकरणों को निराकृत कर दिया जाएगा। अभी रोजाना औसतन 300 प्रकरण निराकृत हो रहे हैं। इधर राजस्व से जुड़े जिम्मेदारों का कहना है कि इंदौर कलेक्टर द्वारा की जा रही यह पहल सराहनीय है और पहली बार इस मामले में सख्त कदम भी उठाए जा रहे हैं और इंदौर का यह राजस्व मॉडल पूरे प्रदेश में लागू किया जा सकता है, क्योंकि मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान भी लगातार किसानों से लेकर आम लोगों को राजस्व के संबंध में दफ्तरों के चक्कर ना काटना पड़े इसके निर्देश कलेक्टरों को देते रहे हैं और अभी 4 दिन पहले भी उन्होंने भोपाल कलेक्ट्रेट का औचक निरीक्षण भी किया था। इंदौर कलेक्टर में भी पूरा राजस्व अमला सूत-सांवल में आ गया है।

    हर तहसील से 4-4 पटवारियों को लैपटॉप
    पूर्व में भी भू-प्रबंधन द्वारा राजस्व अमले को लैपटॉप से लेकर अन्य साधन उपलब्ध करवाए गए थे, मगर उनका इस्तेमाल कम ही हो पा रहा है। अभी कलेक्टर मनीष सिंह ने जो राजस्व सुधार लागू किए हैं उसके चलते पूरे राजस्व अमले को सुबह साढ़े 10 बजे से देर रात तक काम निपटाना पड़ रहे हैं। अभी सभी तहसीलों के 4-4 वरिष्ठ पटवारियों को भी लैपटॉप दिए जा रहे हैं, जिसके संबंध में भू-अभिलेेख प्रबंधन को नाम सौंपे जा रहे हैं, ताकि इन पटवारियों को जल्द ही लैपटॉप उपलब्ध हो सकें। वैसे भी कलेक्टर ने निर्देश दिए हैं कि किसी भी अधिकारी-कर्मचारियों को साधन-संसाधन की कमी नहीं होने दी जाएगी।

    हर हफ्ते होगी लम्बित प्रकरणों की समीक्षा
    कलेक्टर मनीष सिंह जहां रोजाना तहसील कार्यालयों का आकस्मिक निरीक्षण कर रहे हैं वहीं उन्होंने राजस्व अमले को प्रोटोकॉल सहित अन्य ड्यूटियों से भी मुक्त कर दिया है, ताकि किसी तरह की बहानेबाजी ना हो। राजस्व के संबंध में जो महत्वपूर्ण आदेश कल जारी किया गया उसे तत्काल प्रभाव से जहां लागू कर दिया, वहीं राजस्व संबंधित क्षेत्र के एसडीओ और अपर कलेक्टरों की जिम्मेदारी रहेगी कि वह प्रत्येक सप्ताह लम्बित प्रकरणों की समीक्षा पीठासीन अधिकारी के कार्यालय में जाकर करें और जिस भी कार्यालय में लम्बित प्रकरण मिलेंगे उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई भी की जाएगी।

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