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    वार पर पलटवार, शहर अध्यक्ष पद से बेदखली के कगार पर खड़े सुरजीत बोले- यह अपराध नहीं, शिष्टाचार

  • July 31, 2024

    • मैंने कोई अपराध नहीं किया, फिर इतनी बड़ी सजा किस बात की
    • बताइए क्या मैं घर आए व्यक्ति को अपमानित कर देता
    • मैंने भी दमदारी से अपनी बात रखी थी कैलाशजी के सामने
    • सालभर से अध्यक्ष, पर किसी के चार पैसे का दागदार नहीं
    • चंदेबाजी-वसूली से दूर रहा, किसी के प्लाट पर कब्जा नहीं किया

    इंदौर, अरविंद तिवारी। 
    शहर कांग्रेस अध्यक्ष (City Congress President) पद से बेदखली (Eviction) के कगार पर खड़े सुरजीतसिंह चड्ढा (Surjit Singh Chadha) का कहना है कि आखिर मेरी गलती क्या है, जिसकी इतनी बड़ी सजा मुझे दी जा रही है। मैंने प्रदेश नेतृत्व (State Leadership) के सामने अपनी बात रख दी है और मौका पडऩे पर केंद्रीय नेतृत्व के सामने भी दमदारी से अपना पक्ष रखूंगा। मैं अपनी जगह सही हूं। मैंने कोई गलत काम नहीं किया। यह तो शिष्टाचार है, अपराध नहीं।



    उन्होंने कहा कि मैंने मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के सामने जिस विषय पर वह बात करने आए थे, उस पर दमदारी से अपनी बात रखी। जो मुद्दे प्रदेश अध्यक्ष ने बताए थे वह भी उनके सामने रखे। बात आगे बढ़ती, तभी मीडिया के साथी आ गए और फिर मंत्रीजी चले गए।

    ऐसा लगा मानो किसी पारिवारिक आयोजन का निमंत्रण देने आ रहे हैं
    सुरजीत बोले-जब गांधी भवन आने के लिए कैलाशजी का फोन आया तो मुझे लगा कि वह किसी पारिवारिक आयोजन का निमंत्रण देने आ रहे हैं। मैंने उनसे कहा कि मैं किसी को भेज देता हूं या खुद आ जाता हूं तो उन्होंने बोला-नहीं, आज मैं ही आऊंगा। इसी बीच प्रदेश अध्यक्ष का फोन आया और उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या कैलाशजी गांधी भवन आ रहे हैं? मैंने कहा- हां, ऐसी सूचना है और मैंने उनसे यह भी आग्रह किया है कि आप क्यों आ रहे हो, मैं ही आ जाता हूं तो पटवारी ने कहा कि आने दीजिए, पर हमारी परंपरा के अनुसार अच्छे से स्वागत-सत्कार कीजिए। उन्होंने मुझे कुछ मुद्दे भी उनके सामने रखने के लिए दिए थे। अब पटवारी जिम्मेदारी लेने से मुकर रहे हैं तो यह उनकी अपनी समस्या है।

    अपने बलबूते पर सब किया
    अपना दर्द बयां करते हुए चड्ढा बोले-इंदौर बड़ा शहर है। हर बड़ा नेता, प्रभारी यहीं आता है। मैंने अपने बलबूते पर सारी व्यवस्था की। खुद ने सारा खर्च उठाया। इस काम के लिए किसी से चंदा नहीं लिया। प्रदेश कांग्रेस से भी कभी मदद नहीं मांगी।

    चाय-नाश्ता तो जो अतिथि आता है उसको करवाते ही हैं
    वे आए, उन्होंने बात की शुरुआत करते हुए कहा कि शहरहित में एक अच्छी पहल में आपका सहयोग चाहिए। पौधारोपण का जो बड़ा अभियान हमने हाथ में लिया है, उसमें आप भी सहभागी बनो और पौधारोपण करो। जैसे ही उन्होंने अपनी बात खत्म की, मैंने कहा कि कहीं इस पौधारोपण का हाल भी शिवराजजी के कार्यकाल में लगे साढ़े 6 करोड़ पौधों जैसा न हो जाए। मैंने उनसे यह भी कहा कि आप इतनी संख्या में पौधे तो लगवा रहे हो, उनकी सुरक्षा भी जरूरी है। मैं आगे कुछ कहता इसके पहले ही मीडिया के साथी आ गए और उनसे बात करने के बाद वे चले गए। इसीलिए नगर निगम के मुद्दे पर बात नहीं हो पाई। उनके जाने के बाद मैंने अपने नेताओं को उनके आने का मकसद बताया और जब सभी ने कहा कि हमें नहीं जाना चाहिए तो हमने विरोध प्रकट करते हुए वहां जाने से परहेज किया। विजयवर्गीय के स्वागत-सत्कार के मुद्दे पर चड्ढा का कहना है कि घर आए अतिथि का अपमान तो नहीं कर सकते। राजनीतिक सौहार्द की अपनी परंपरा के मुताबिक उनका स्वागत किया। चाय-नाश्ता तो कोई भी अतिथि आता है उसको करवाते हैं।

    चुनाव लड़े किसी नेता से एक पैसा नहीं लिया
    मैं सालभर से शहर कांग्रेस का अध्यक्ष हूं। अध्यक्ष रहते हुए मैंने कभी कोई गलत काम नहीं किया, कोई गड़बड़ नहीं की, चंदेबाजी और वसूली से दूर रहा। किसी के प्लाट पर कब्जा नहीं किया, न किसी कार्यकर्ता का अपमान किया। मेरे पर कोई दाग नहीं है। विधानसभा चुनाव लड़े किसी व्यक्ति से मैंने एक पैसा नहीं लिया। मैं उनकी चाय का दागदार भी नहीं हूं। लोकसभा चुनाव में नोटा में जो दो लाख 16 हजार वोट गए उसके पीछे भी मेरी टीम की मेहनत रही।

    यह कांग्रेस के सबसे विफल प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी का फ्रस्ट्रेशन : विजयवर्गीय
    मैंने तो कांग्रेस भवन के लिए जमीन तक देने का प्रस्ताव दिया… पौधारोपण कांग्रेस के बीस सूत्री कार्यक्रम का एजेंडा भी
    जीतू पटवारी मध्यप्रदेश कांग्रेस के इतिहास के अब तक के सबसे असफल अध्यक्ष हैं। वह अब जो बोल रहे हैं वह उनका फ्रस्ट्रेशन है। उन्होंने खुद सुरजीतसिंह चड्ढा से कहा था कि कैलाशजी गांधी भवन आ रहे हैं तो उनका अच्छे से स्वागत-सत्कार करें और जब उन्होंने ऐसा किया तो वह उन्हें नोटिस जारी कर पार्टी से निलंबित कर रहे हैं। यह उनकी राजनीति का दोहरा मापदंड है। अच्छा नेता तो वह है, जो अपने कार्यकर्ता के साथ खड़ा रहे, न कि उसको नीचा दिखाने में लग जाए। मेरा भाव तो बहुत अच्छा था। पौधारोपण शहर की आवश्यकता है। हमारी इस आवाज को शहर की जनता का भरपूर प्रतिसाद मिला। मैं गांधी भवन राजनीति करने नहीं, बल्कि पौधारोपण के महाअभियान में कांग्रेस का सहयोग लेने के लिए गया था। राजनीतिक सौहार्दता इंदौर की परिपाटी रही है। कांग्रेसियों ने भी उस समय मेरे भाव को समझा और पौधारोपण में शामिल होने की सहमति दी। बाद में पता नहीं उन्हें क्या हुआ और वह कार्यक्रम में और पौधारोपण करने नहीं आए। पौधारोपण के बारे में कांग्रेसियों के जो सवाल थे उनका जवाब भी मैंने उन्हें वहीं पर दिया था। जीतू पटवारी को शायद यह पता नहीं कि पौधारोपण कांग्रेस के 20 सूत्री कार्यक्रम का एक बड़ा मुद्दा था। मैंने तो गांधी भवन की स्थिति देखने के बाद यह भी कहा था कि इसे विस्तार दीजिए। आप लोग जमीन देख लो, हम आवंटित कर देंगे। अच्छा गांधी भवन बनाओ। पर लगता है पटवारी इसे बचा नहीं पाए। वे कांग्रेस को एक्टिव करने के बजाय इनएक्टिव करने में लगे हुए हैं। किसी राजनीतिक दल के लिए इससे दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति नहीं हो सकती कि उसका प्रदेश अध्यक्ष पहले कुछ कहे, बाद में पलट जाए और जो लोग उनकी बात पर भरोसा कर काम करें उन्हें परेशानी का सामना करना पड़े।

    पटवारी खुद पता नहीं कितने दिन अध्यक्ष बनें रहेंगे
    विजयवर्गीय ने कहा कि कांंग्रेस में इस बात को लेकर बेहद आपाधापी है कि पटवारी भी खुद कितने दिनों तक अध्यक्ष बने रहेंगे। कई नेता उन्हें स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं और कई उनके निर्देशों का पालन नहीं करते हैं। ऐसी स्थिति मे पटवारी को कई बार नीचा देखना पड़ता है। इन्दौर की घटना में भी ऐसा ही हुआ, उनके निर्देश पर ही सौहाद्र्रता दिखाई गई और उन्हें अपने साथियों की बलि लेना पड़ी।

    इधर सदाशिव बोले….मेरा तो कोई लेना-देना ही नहीं
    जिला कांग्रेस अध्यक्ष सदाशिव यादव का कहना है कि मुझे न जाने क्यों कारण बताओ नोटिस जारी कर निलंबित किया गया। मेरा तो इस मामले से कोई लेना-देना ही नहीं है।
    यादव बोले-मैं तो जिला कांग्रेस के दफ्तर में बैठा था। वहां से कोई बुलाने आया कि कैलाशजी आए हैं, सुरजीत भाई आपको बुला रहे हैं। मैं सहज भाव में चला गया। मेरे सामने तो ज्यादा बात भी नहीं हुई, क्योंकि जब मैं पहुंचा तब वे जाने वाले थे। सौजन्यतावश सामान्य बात हुई। पता नहीं क्यों बात को इतना तूल दे दिया गया है। हमने भोपाल में पार्टी के बड़े नेताओं के सामने भी पूरी स्थिति स्पष्ट कर दी थी और वह हमारी बात से संतुष्ट थे। इसके बाद भी क्यों नोटिस जारी हुआ यह समझ नहीं आ रहा। नोटिस का जवाब तो दे दिया है और अब लग रहा है कि मामला ठंडा पड़ जाएगा। जीतू भाई तो न मुझ पर न सुरजीत पर किसी तरह की कार्रवाई चाहते हैं। उनको तो सब मालूम ही था। वे इस मामले को पार्टी के बड़े नेताओं के बीच चल रहे विवाद से जोडक़र देख रहे हैं और कहते हैं कि उमंग सिंघार और प्रदेश अध्यक्ष के बीच जो खींचतान चल रही है उसका नुकसान हमें उठाना पड़ा।

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