काठमांडू। कालापानी, लिम्पियाधुरा और लिपुलेख समेत 395 वर्ग किलोमीटर के भारतीय इलाके को जबरन अपने नक्शे में शामिल करने वाले नेपाल ने अब इन इलाकों में नेपाली नागरिकों की घुसपैठ को वैध बताया है। नेपाल के धारचुला के जिला प्रशासन ने भारत के पत्र के जवाब में दावा किया कि सुगौली संधि के आर्टिकल 5, नक्शे और ऐतिहासिक साक्ष्यों के आधार पर कालापानी, लिम्पियाधुरा और लिपुलेख नेपाली क्षेत्र है।
इससे पहले इसी महीने भारत ने नेपाल से अपने नागरिकों को कालापानी, लिम्पियाधुरा और लिपुलेख में अवैध तरीके से घुसने से रोकने की अपील की थी। इस संबंध में धारचूला (पिथौरागढ़, उत्तराखंड) के उप-जिलाधिकारी अनिल कुमार शुक्ल ने पिछले दिनों नेपाली प्रशासन को एक पत्र लिखा था। अब नेपाल ने इस पत्र का पलटकर जवाब दिया है। नेपाल के धारचुला इलाके के मुख्य जिला अधिकारी शरद कुमार ने अपने पत्र में दावा किया कि कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा नेपाली इलाके हैं।
शरद कुमार ने कहा कि सुगौली संधि के आर्टिकल 5, नक्शे और ऐतिहासिक साक्ष्यों के आधार पर कालापानी, लिम्पियाधुरा और लिपुलेख नेपाली क्षेत्र है। शरद कुमार ने कहा कि भारत इन इलाकों में नेपाली लोगों के प्रवेश पर रोक नहीं लगाए। उन्होंने कहा कि चूंकि ये नेपाली इलाके हैं तो वहां पर नेपाली नागरिकों का जाना स्वाभाविक है। इससे पहले 14 जुलाई को भारतीय अधिकारी अनिल कुमार शुक्ला ने एक ईमेल भेजकर नेपाली लोगों की अवैध घुसपैठ पर रोक लगाने के लिए कहा था।
अनिल कुमार ने कहा था कि इस तरह की अवैध घुसपैठ दोनों ही देशों के प्रशासन के लिए संकट पैदा करती है। भारत ने मांग की थी कि नेपाल इस तरह की घुसपैठ की उसे जानकारी भी दे। बता दें कि भारत के साथ सीमा गतिरोध के बीच नेपाल ने अपने नए नक्शे में लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा को नेपाल ने अपने क्षेत्र में दिखाया है। इस नए नक्शे में नेपाल ने लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा के कुल 395 वर्ग किलोमीटर के भारतीय इलाके को अपना बताया है। भारत ने नेपाल के इस कदम पर आपत्ति जताते हुए नए नक़्शे को मंजूर करने से इनकार किया है और कहा है की यह सिर्फ राजनीतिक हथियार है जिसका कोई आधार नहीं है।
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