इंदौर। कल स्कीम नंबर 140 में अवैध मकान पर बुलडोजर और पोकलेन से कार्रवाई के दौरान हादसा हो गया। पोकलेन चालक की हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है। वहीं दूसरी ओर निर्माणाधीन तीन मंजिला मकान के मामले में जनकार्य विभाग के अफसर लगातार लीपापोती कर रहे हैं। सबसे पहले 2012 में अनुमति दी गई थी और उस दौरान छानबीन नहीं की गई। बाद में नक्शा रिन्यू कराया गया तो अनुमति दे दी गई। पूरे मामले में अनुभवहीन रिमूवल अधिकारियों की लापरवाही भी सामने आ रही है।
पूर्व में भी रिमूवल कार्रवाई के दौरान गंभीर लापरवाहियां सामने आई हैं। कल निजी कंपनी की पोकलेन से जब वहां तोडफ़ोड़ की जा रही थी तो हादसा हो गया और चालक का पैर बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया। कल एक साथ दो से तीन जगह रिमूवल कार्रवाई का प्लान तैयार कर लिया गया और सुबह-सुबह नगर निगम के अधिकारी स्कीम नंबर 140 के मकान पर तोडफ़ोड़ करने के बाद भूतेश्वर में मंदिर के आसपास लगी दुकानों को हटाने पहुंच गए थे। वहां भी हंगामा चलता रहा था।
बंबई बाजार में भी टीआई के पैर पर चढ़ा दी थी पोकलेन
सरवटे टू गंगवाल सडक़ के लिए कड़ावघाट और बंबई बाजार क्षेत्र में बाधक निर्माणों को हटाने के दौरान नौसिखिए पोकलेन चालक ने तत्कालीन बाणगंगा टीआई तारेश सोनी के पैर पर पोकलेन चढ़ा दी थी, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गए थे। पुलिसकर्मियों ने मौके पर पोकलेन चालक की पिटाई भी कर दी थी। उसके बावजूद निगम की लापरवाहियां लगातार जारी रहीं। कई दिनों तक टीआई को अस्पताल में भर्ती रहकर इलाज करवाना पड़ा।
पहले अपर आयुक्त स्तर के अधिकारी मौजूद रहते थे
पिछले कुछ दिनों से रिमूवल कार्रवाई में लापरवाहियां शुरू होने लगीं और वायरलेस लगाए कई नौसिखिए कार्रवाई को अंजाम देने लगे। किसी भी कार्रवाई स्थल पर जेसीबी अथवा पोकलेन चालक को अलग-अलग अधिकारी दिशा-निर्देश देते हैं, जिसके चलते वह कार्रवाई को सही रूप से अंजाम नहीं दे पाता।
सबसे पहला नक्शा 2012 में मंजूर हुआ
नगर निगम अधिकारी पीएस कुशवाह के मुताबिक उनके कार्यकाल में नक्शा रिन्यू किया गया, लेकिन वह 2012 में स्वीकृत हुआ था और उस समय के अधिकारी को यह देखना है कि प्लॉट नंबर सही है अथवा नहीं और ग्रीन बेल्ट की अथवा किसी प्रकार की जमीन मौके पर है।
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