इंदौर। साइबर अटैक के कारण ई-नगर पालिका पोर्टल बीते कई दिनों से बंद पड़ा था, जिससे इंदौर निगम के साथ-साथ 16 अन्य निगमों में भी राजस्व सहित अन्य कार्य चौपट हो गए। इंदौर निगम को ही करोड़ों रुपए का फटका पड़ा, क्योंकि सम्पत्ति कर की वसूली से लेकर भवन अनुज्ञा, विकास अनुमति सहित अन्य कार्य भी रूक गए, क्योंकि बिना सम्पत्तिकर एनओसी के ये अनुमतियां जारी नहीं हो सकती। अब 70 दिन बाद जैसे-तेसे निगम का पोर्टल शुरू तो हुआ है, मगर चालू वित्त वर्ष की ही जानकारी दे रहा है और नए खाते ही खुल पा रहे हैं, पुराना रिकॉर्ड अभी भी अपलोड नहीं हो पा रहा है।
नगर निगम की माली हालत पहले से ही खस्ता है, उस पर रही-सही कसर साइबर अटैक ने पूरी कर दी। नतीजतन निगम का पोर्टल लगभग 70 दिनों तक ठप पड़ा रहा। चूंकि विगत कुछ वर्षों से सम्पत्ति, जल कर के साथ-साथ सभी तरह की अनुमतियां ऑनलाइन दी जाने लगी है, जिसके कारण निगम के पास अलग से कोई रिकॉर्ड नहीं है। यहां तक कि सम्पत्ति कर के बड़े बकायादारों के खिलाफ अभियान चलाया जाना था, वह भी ठप पड़ा रहा। वहीं नए खाते भी नहीं खुल सके। सिर्फ नल कनेक्शनों को ही वैध करने का काम निगम कर सका। अब पोर्टल तो शुरू हो गया है, मगर अभी भी निगम की परेशानियां खत्म नहीं हो रही। क्योंकि चालू वित्त वर्ष के ही रिकॉर्ड प्रदर्शित हो रहे हैं, विगत वर्षों के नहीं। एक अनुमान है कि निगम को लगभग 100 करोड़ रुपए तक का फटका पड़ा है, क्योंकि वित्त वर्ष के ही अंतिम तीन महीने में ही निगम सबसे अधिक वसूली करता है। मगर जनवरी-फरवरी का ही पूरा महीना पोर्टल के काम ना करने के चलते बर्बाद हो गया। अब मार्च का अंतिम महीना बचा है, लेकिन अभी भी पुराने आंकड़े उपलब्ध नहीं हो रहे हैं। यहां तक कि जनकार्य विभाग में भवन अनुज्ञा के कई नक्शे इसी कारण अटके रहे, तो कॉलोनी सेल से भी विकास अनुमतियां जारी नहीं हो पा रही थी, क्योंकि ऑनलाइन सिस्टम के चलते फाइल ही आगे नहीं बढ़ती है।
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