इंदौर। नगर निगम (municipal corporation) ने शुरुआत में पांच फर्मों के खिलाफ एफआईआर (FIR) दर्ज कराई थी और उसके बाद फर्जी बिल महाघोटाले (fake bill mega scam) का आकार लगातार बढ़ता रहा। शुरुआत में 28 करोड़ (28 crores) का जो फर्जीवाड़ा नजर आ रहा था वह अब 150 करोड़ (150 crores) तक पहुंच गया। साथ ही 20 फाइलों से इस महाघोटाले की कहानी शुरू हुई और उसके बाद फिर पुलिस (Police) ने अन्य फाइलें जब्त की। फिलहाल पुलिस 44 फाइलों की जांच कर रही है, तो नगर निगम ने खुद 200 से अधिक फर्जी और संदिग्ध फाइलें पकड़ी हैं। इनमें 170 तो ड्रैनेज (Drainage) की फाइलें ही बोगस हैं, जिसका खुलासा कल ही अग्रिबाण (Agniban) ने किया था। अभी तक 14 फर्मों का इस महाघोटाले से संबंध मिला है, जिसमें से 10 फर्मों के खिलाफ पुलिस एफआईआर दर्ज कर चुकी है। अब निगम अन्य फर्मों और उनकी फर्जी फाइलों की नई एफआईआर दर्ज करवाएगी, तो दूसरी तरफ घोटाले में लिप्त ठेकेदार और अन्य आरोपी जमानत हासिल करने की जुगाड़ में लग गए हैं।
निगम सूत्रों का कहना है कि शासन ने जो 15 साल का रिकॉर्ड मांगा था वह भिजवा दिया है। हालांकि बैंक से इसकी जानकारी अभी नहीं मिल सकी। मगर निगम ने अपनी लेखा शाखा के माध्यम से तैयार रिकॉर्ड एसआईटी को भेजा है। दूसरी तरफ निगम ने अब अपना खुद का ऑडिट सिस्टम भी तैयार किया है, क्योंकि शासन स्तर पर जो ऑडिट की टीम निगम में बैठती है वह खुद इस महाघोटाले की भागीदार निकली और वित्त विभाग ने पिछले दिनों संयुक्त संचालक के साथ सीनियर ऑडिटर और अन्य को निलंबित भी किया। निगमायुक्त शिवम वर्मा के मुताबिक अब फाइलों को सीधे ऑडिट विभाग में भेजने की बजाय लेखा शाखा को सौंपा जाएगा और वहां से परीक्षण के लिए संबंधित विभागों को यह फाइल दी जाएगी और उसकी मंजूरी के बाद यह पुन: लेखा शाखा में आएगी और वहां से फिर ऑडिट शाखा को भेेजकर भुगतान के लिए प्राप्त करेंगे। यही कारण है कि पिछले दिनों लेखा विभाग में 8 कर्मचारियों की नियुक्ति भी की गई है, जिसमें हरीश श्रीवास्तव आयुक्त कार्यालय से लेखा विभाग, सुश्री चंद्रिका पारगीर सहायक लेखा पाल को विद्युत विभाग से लेखा शाखा और वरुणेश सेन सहायक लेखा पाल जनकार्य विभाग से लेखा शाखा में, रुपेश काले, नूरजहां खोकर, ड्रॉफ्स मैन प्रधानमंत्री आवास योजना से लेखा शाखा के अलावा तीन दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी हेमराज चौधरी, कशीश रोहिडा और लोकेश पुरोहित को भी लेखा शाखा में पदस्थ किया गया है। अब संबंधित विभाग लेखा शाखा को फाइलें भेजेंगे और फिर वहां से वेरीफिकेशन के बाद ये फाइलें ऑडिट विभाग में जाएगी। दूसरी तरफ इस घोटाले का मास्टरमाइंड निगम अभियंता अभय राठौर ने जमानत की जुगाड़ शुरू कर दी। वह खुद को निर्दोष भी बता रहा है और उसके परिजनों का कहना है कि ईओडब्ल्यू भी खात्मा कर चुका है। हालांकि एक आरोपी मोहम्मद सिद्दीकी की जमानत याचिका कल जिला कोर्ट ने खारिज भी कर दी। पुलिस को भी निगम की नई एफआईआर का इंतजार है, ताकि आरोपी छूट न सकें।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved