इंदौर। शहर का जल स्तर तेजी से गर्त में जा रहा है। फिलहाल इंदौर 80 एमएलडी पानी की कमी से जूझ रहा है, लेकिन यह विकरालता बढक़र किसी भी स्तर तक पहुंच सकती है। उस स्थिति से निपटने के लिए इंदौर में महापौर ने दो संस्थाओं के साथ मिलकर जनचेतना अभियान का बीड़ा उठाया है। इसके लिए निगम द्वारा जहां प्रशासनिक स्तर पर प्रयास किए जाएंगे, वहीं लोगों को भविष्य में होने वाले जल संकट से आगाह करने और जनचेतना जगाने के लिए आज से अभियान शुरू किया जा रहा है। इससे पहले महापौर ने समाचार पत्र संपादकों और पत्रकारों से चर्चा कर उनके सुझाव लिए, जिन्हें आज होने वाली जनबैठक में साझा किया जाएगा।
महापौर पुष्यमित्र भार्गव इससे पहले सौर ऊर्जा के लिए संकल्पित करने के प्रयास कर चुके हैं। अब इंदौर में जल संकट की भविष्य की स्थिति से निपटने के लिए जनचेतना से लेकर भूजल स्तर बढ़ाने के तमाम प्रयास की तैयारी की जा रही है। संस्था संग मित्र व विश्वम द्वारा नगर निगम के तत्वावधान में शुरू किए जा रहे वंदे जलम अभियान के तहत वर्षा के पानी को संजोने के लिए लोगों को जहां चैतन्य किया जाएगा, वहीं भूजल स्तर बढ़ाने के लिए वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने के लिए प्रेरित भी किया जाएगा। महापौर ने बताया कि हर वर्ष उन क्षेत्रों के लिए टैंकर जुटाना होते हैं, जहां पानी की कमी है।
इसके लिए जहां पानी की उपलब्धता है, वहां से पानी लिया जाता है, लेकिन अब उनकी क्षमता भी घटने लगी है। ऐसे में भविष्य में इंदौर बेंगलुरु की तरह किसी बड़ी मुसीबत में फंस सकता है, जहां पानी की राशनिंग की जा रही है। उन्होंने बताया कि शहर 80 एमएलडी पानी की कमी से गुजर रहा है और यह भी तब संभव है, जब हम नर्मदा का भरपूर दोहन कर रहे हैं। ऐसे में हमें वर्षा के पानी को सुरक्षित करने के प्रयास करना चाहिए। इसके लिए जहां तालाबों का गहरीकरण किया जा रहा है, वहीं निजी भवनों में पांच हजार से अधिक रेन वाटर हर्वेस्टिंग सिस्टम लगाए जाने का अभियान शुरू किया जाएगा। इसके अलावा औद्योगिक भवनों पर एक हजार एवं सरकारी बगीचों, अस्पतालों और होटलों में एक हजार सिस्टम लगाए जाएंगे।
जल बजट में होंगे पानी से आय एवं व्यय के प्रावधान
पत्रकारों एवं संपादकों की बैठक में जल बजट बनाए जाने का महत्वपूर्ण सुझाव आया, जिसमें बताया गया कि इंदौर शहर में पानी उद्योग में परिविर्तत हो रहा है। प्रतिदिन पानी की लाखों बोतलें बाजार में बिक रही हैं, लेकिन पानी बेचने वालों द्वारा कोई शुल्क नहीं चुकाया जा रहा है। इसी तरह उद्योगों में भी पानी की मुफ्त खपत हो रही है। इसके लिए जल बजट बनाया जाएगा एवं पानी की कीमत वसूली जाएगी। इस आय से पानी संरक्षण के लिए होने वाले व्यय का समायोजन किया जा सकेगा। जल बजट में पानी संरक्षित करने वाले भवनों को संपत्तिकर में छूट दिए जाने एवं संरक्षित पानी अन्य लोगों और क्षेत्रों तक पहुंचाने वालों के लिए भी लाभ के उपाय किए जा सकेंगे।
निगम बताएगा जगह
फिलहाल जहां बोरिंग होता है, वहीं वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम लगा लिया जाता है, लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार यह उचित नहीं होता है। महापौर ने कहा कि जल पुर्नभरण संयंत्र लगाने के लिए जगह बताने वाली एजेंसी भी निगम निर्धारित करेगा।
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