इंदौर। कई जगह आग (fire) लगने की घटनाओं के बाद नगर निगम (Corporation ) के टैंकर (tankers) मौके पर नहीं भेजे जा रहे हैं। इसी के चलते कई बार विवाद की स्थिति बनती है। ट्रेंचिंग ग्राउंड (trenching ground) में कल लगी आग बुझाने के लिए निगम के टैंकर ही मौके पर नहीं पहुंचे। इस मामले को लेकर पुलिसकर्मियों और निगमकर्मियों की खासी हुज्जत हुई। डीजल बचाने के चक्कर में कई बार रात्रिकालीन ड्यूटी में तैनात टैंकर चालक फोन नहीं उठाते, जिसके चलते स्थिति बिगड़ती है।
नगर निगम कंट्रोल रूम और झोनलों पर आपातकालीन स्थितियों के लिए अग्निशमन सुरक्षा प्रबंधों के तहत कई टैंकर वहां तैनात रखे जाते हैं, ताकि कहीं से भी सूचना मिलने पर तत्काल गाडिय़ां भेजी जा सकें। निगम पर तो ठीक, लेकिन झोनलों की स्थिति सबसे खराब है। वहां कुछ टैंकर आपातकालीन स्थिति के लिए रखे जाते हैं, लेकिन न तो नर्मदा प्रोजेक्ट के अफसर फोन उठाते हैं और न ही टैंकर चालक। इसी को लेकर कई बार विवाद की स्थिति बनती है। कल भी दो से तीन बजे के लगभग ट्रेंचिंग ग्राउंड में आग लगने के बाद टैंकर भेजने के लिए बार-बार फोन किए जाते रहे, लेकिन टैंकर नहीं भेजे गए। जैसे-तैसे फायर ब्रिगेड की दमकलों के साथ पहुंचे टैंकरों ने वहां काम शुरू किया और सुबह 5 बजे तक निगम के टैंकर पहुंचे, तब तक आग पर काफी हद तक काबू पा लिया गया था।
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