खजाना भरने के लिए लोगों की जेब खाली करने पर तुला निगम
इंदौर। इंदौर नगर निगम (Indore Municipal Corporation) अब इस कदर वसूली माफिया का किरदार निभाने पर आमादा हो गया है कि लोगों को न केवल कर वसूली (Recovery) के मनमाने नोटिस दिए जा रहे हैं, बल्कि मनमाने करारोपण की भी तैयारी की जा रही है। कोरोना काल में अपना घर चलाने की मशक्कत से जूझते लोगों के लिए कहर बना इंदौर नगर निगम कहीं संपत्तिकर की वसूली करने के लिए लोगों को परेशान करने में जुटा है तो कहीं जलकर से लेकर भवन शुल्क तक के नोटिस जारी किए जा रहे हैं। खजाना (Treasury) भरने की भूख में शहरियों के बूते पर स्वच्छता का खिताब हासिल करने वाला इंदौर नगर निगम अब कचरा शुल्क तक दोगुना कर शहरियों को नोंचने से बाज नहीं आ रहा है। इसके अलावा गाइड लाइन पर संपत्तिकर की वसूली का फरमान जारी कर निगम ने साफ कर दिया है कि इंदौर अब जजिया कर वसूल करने वाले हिटलरी अधिकारियों के हवाले हो चुका है।
लोगों को अब चुनी हुई परिषद और अधिकारियों की कार्यशैली का पता चल रहा है। शहर की सरकार में जनप्रतिनिधियों की भागीदारी होने से जहां न्याय और जनता के अधिकारों की रक्षा होती है, वहीं अधिकारियों के होने से केवल जरूरतों और जुल्म की दास्तानें लिखी जाती हैं। इंदौर नगर निगम (Indore Municipal Corporation) द्वारा कोरोना काल के चलते जिस तरह आम लोगों पर कहर बरपाया जा रहा है, उससे साफ नजर आ रहा है कि यह शहर जनप्रतिनिधियों की शक्तियों को खो चुका है। संपत्तिकर से लेकर जलकर और अन्य करों की वसूली के लिए दुकानों पर ताले लगाए जा रहे हैं। घर को कुर्क किया जा रहा है। पहले से ही लुटे-पिटे बैठे कारोबारियों और नौकरी-रोजगार गंवा चुके लोगों से वसूली के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं। ऐसे समय में, जब सरकार और प्रशासन से लेकर निगम तक को आम लोगों का सहारा बनना चाहिए, तब उनके अर्थतंत्र पर हमला बोलकर बची-खुची कमाई की संभावनाओं को खत्म करने पर तुला निगम वसूली की बर्बरता के चरम को जहां छू रहा है, वहीं संपत्तिकर, जलकर, कचरा संग्रहण शुल्क से लेकर भवन अनुज्ञा शुल्क में मनमानी बढ़ोतरी के फरमान तैयार किए जा रहे हैं। संपत्तिकर को शहर की गाइड लाइन से जोडक़र खजाना भरने का ऐलान करने वाला निगम घर-घर के लिए बड़ी तबाही की साजिश रच रहा है। हालांकि साजिश के पहले ही जननेताओं की तंद्राएं जाग चुकी हैं और विरोध के स्वर गूंजने लगे हैं…
निगम सडक़ और पार्क का भी संपत्तिकर चाहिए… पार्किंग तक की जगह के टैक्स नोटिस जारी कर दिए
ऐसा तो शायद मुगल शासन में होता था, जब अंधेर नगरी चौपट राजा की तर्ज पर चमड़े के सिक्के चलाने वाले तुगलकी राजा-महाराजा मनमाने फरमान जारी करते थे। उसी तरह अब नगर निगम द्वारा कालोनाइजरों को स्वीकृत प्लान में सडक़ से लेकर बगीचे के लिए छोड़ी गई जमीन के नोटिस जारी किए जा रहे हैं। इतना ही नहीं, इन कालोनाइजरों को कालोनी लाइसेंस निरस्त करने तक की धमकी दी जा रही है। निगम के अपर आयुक्त एस. कृष्ण चैतन्य ने सारे कानून-नियम और मर्यादाओं को ताक पर रखकर अधीनस्थों को मनचाहे नोटिस देने और वसूली करने के फरमान जारी कर दिए हैं। निगमायुक्त को भी इस संदर्भ में की गई शिकायत निराकरण के लिए अपर आयुक्त के पास ही भेजी जा रही है, जो स्वयं इन फरमानों के जिम्मेदार हैं।
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