इंदौर।तीसरी बार नगरीय निकाय चुनाव को हल्ला मच रहा है, लेकिन भाजपा और कांग्रेस की इसको लेकर बड़े स्तर पर तैयारी नहीं दिखाई दे रही है। अध्यक्ष और महापौर के आरक्षण को लेकर लगी याचिका का भी अभी तक निराकरण नहीं हो पाया है। वहीं कोरोना की संभावित तीसरी लहर को देखकर लग रहा है कि निकाय चुनाव फिर टल सकते हैं। फिलहाल कांग्रेस और भाजपा का जोर अब उपचुनाव पर ज्यादा है, जिसको लेकर दोनों दलों ने तैयारी शुरू कर दी है।
मुरैना और उज्जैन नगर निगम सहित दूसरी नगर पालिकाओं में महापौर और अध्यक्षीय आरक्षण को लेकर लगी याचिका पर अभी तक कोई निर्णय नहीं हो पाया है। जुलाई में इस पर सुनवाई होना है। उसके पहले माना जा रहा था कि नगरीय निकाय चुनाव सितम्बर-अक्टूबर में करवाए जा सकते हैं, लेकिन दोनों ही पार्टियों में आला स्तर पर इसको लेकर अभी तक कोई हलचल नहीं है। निचले स्तर पर पार्षद का चुनाव लडऩे वालों को जरूर आस है कि इस बार चुनाव हो जाएंगे। राजनीतिक सूत्रों का कहना है कि प्रदेश में अभी निकाय चुनाव को लेकर किसी प्रकार की तैयारी नहीं है। भाजपा भी अभी चुनाव नहीं चाहती है, क्योंकि कोरोना काल में भाजपा की प्रसिद्धि का ग्राफ गिरा है। जिस प्रकार के हालात अप्रैल और मई में बने थे, उसको देखते हुए कई लोग भाजपा के खिलाफ भी हैं। वहीं दूसरी ओर प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने भी इसकी कोई तैयारी नहीं की है। आज भोपाल में कांग्रेस नेताओं की बैठक है, जिसमें संगठन के पुनर्गठन को लेकर चर्चा की जा सकती है। फिलहाल दोनों ही प्रमुख राजनीतिक पार्टियों के सामने उपचुनाव हैं। खंडवा लोकसभा सहित पृथ्वीपुर, रैगांव और जोबट विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है। इन्हीं को लेकर दोनों दल तैयारी कर रहे हैं। भाजपा दमोह उपचुनाव हारने के बाद किसी प्रकार की रिस्क नहीं लेना चाहती हैं तो कांग्रेस भी अपनी सीटें बढ़ाने को लेकर अभी से रणनीति बना रही है। खंडवा लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस इसी माह अपना उम्मीदवार भी घोषित कर सकती है।
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